गुरू शिष्य परम्परा घराना एवं वर्तमान समय में उसकी आवश्यकता

Authors(1) :-डॅा० जया शर्मा

संस्थाओं में प्रतिभावान छात्र श्रेष्ठ गुरूओं से संगीत की परम्परागत तालीम लेकर उच्च कोटि के कलाकार बन सकेगें। एक अन्य दृष्टिकोण मेरा यह भी है कि वर्तमान में अनेक विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में संगीत विषय के रूप में भाामिल है यदि इन शिक्षण संस्थाओं में घरानेदार शिक्षा का समावेश कर लिया जाये तो संगीत कला और अधिक उन्नति के शिखर पर आसीन हो सकती है।

Authors and Affiliations

डॅा० जया शर्मा
एसो०प्राफेसर (संगीत विभाग), आर्य कन्या पी०जी०कालिज, हापुड़, उत्तर प्रदेश, भारत।

गुरु, शिष्य,घराना, संगीत, तालीम, विद्यालय, महाविद्यालय, शिक्षण।

  1. संगीतमणि - डा० महारानी शर्मा
  2. संगीत पत्रिका - डा० महारानी शर्मा
  3. संगीतायन - डा० सीमा चैधरी

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020
Date of Publication : 2020-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 152-154
Manuscript Number : GISRRJ2032115
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॅा० जया शर्मा, "गुरू शिष्य परम्परा घराना एवं वर्तमान समय में उसकी आवश्यकता ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 2, pp.152-154, March-April.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2032115

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