Manuscript Number : GISRRJ203212
मंदिरों का निर्माण व धार्मिक कर्मकांड (मस्जिद और मबतब के बारे में विहंगावलोकन दृश्य)
Authors(1) :-डाॅ. गरिमा मिथिलावासी धर्म के प्रति बहुत ही प्रतिबद्ध थे और आज भी है। इस क्षेत्र में वर्णाश्रम में अधिक विश्वास है। त्रिदेव, ब्रह्म, विष्णु महेश की पूजा आदिकाल से इस क्षेत्र के निवासियों में प्रचलित रही है, पर अधिकांश मिथिलावासी शिव, शक्ति तथा विष्णु के आराधक है। शिव के प्रति आस्था रखने वाले शैव कहे जाते है। पर शैव और वैष्णव संप्रदाय का विभाजन जिस रूप में दक्षिण भारत में है वैसा मिथिला में कहीं भी नही दिखाई देता है। अधिकांश शिव के आराधक विष्णु की भी आराधना पूर्ण निष्ठा से करते है। चूंकि मिथिला पर बंगाल का गहरा प्रभाव पड़ा था। फलतः यहाँ के निवासी शक्ति या देवी या शिवा की आराधना भी पूर्ण निष्ठा से करते है। दुर्गा पूजा तथा काली पूजा में यह स्पष्ट दिख पड़ता है। आप मैथिलों के ललाट पर चंदन पर ध्यान देंगे तो पता चलेगा कि यह तीन प्रकार के होते है। माथे (ललाट) पर भस्म की तीन रेखाएँ शिव के आराधक, सफेद चंदन विष्णु भक्त का एवं मध्य में रक्त चंदन अथवा सिन्दूर का गोलवृत्त शक्ति के आराधकों द्वारा लगाया जाता है। यह बता देना उचित होगा कि शिव का स्थान मिथिलावासियों में बहुत ऊपर है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण महेशवाणी, नचारी आदि का व्यापक स्तर पर गाया जाना है।
डाॅ. गरिमा Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020 Article Preview
एम.ए., पीएच.डी. (इतिहास) बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार), भारत।
Date of Publication : 2020-04-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 64-67
Manuscript Number : GISRRJ203212
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203212