ब्रह्मपुराणम्

Authors(1) :-डॉ. नानूराम जाटः

श्लोकेन सिद्धयति यत् पुराणपठनं न केवलमामुष्मिकफलाय कल्पितम् अपितु संसारस्य ये कामा: श्रूयन्ते तेषाञ्च सिद्धि: अनेन कर्मणा भवति। सम्पूर्णं पुराणं ध्यानेन सावधानेनालोडितम्। तत्र यत् किञ्चित् प्राप्तं तत् सर्वं प्रवन्धे नियोजितम्। अस्मिनध्याये गोतत्त्वस्य विषये अनेकानि आख्यानानि सन्ति। निष्कर्ष: अस्ति यत् गो शब्दस्य अनेके अर्था: सन्ति।

Authors and Affiliations

डॉ. नानूराम जाटः
रा. उ. प्रा. सं. विद्यालय माताजी भोपावास चौमूँ ‚ भारत।

पुराणं‚ सिद्धि:‚ ब्रह्मपुराणे‚ गोतत्त्वम्‚ स्कन्दपराणे‚ ब्रह्मा-विष्ण‚ परिचय:।

  1. स्कन्दपुराणम् - ब्रह्म धर्मारण्य - 18.20
  2. अग्निपुराणम् - 292 अध्याये
  3. अग्निपुराणम् - तत्रैव
  4. ब्रह्मपुराणम् - 1-2
  5. ब्रह्मपुराणम् - 23-26
  6. ब्रह्मपुराणम् -49-1-7
  7. ब्रह्मपुराणम् - तत्रैव - 1-22
  8. ब्रह्मपुराणम् - तत्रैव
  9. ब्रह्मपुराणम् - 80-47-52
  10. ब्रह्मपुराणम् - 80-54-55
  11. ब्रह्मपुराणम् - 85-20-21
  12. ब्रह्मापुराणम् - 178-185-185
  13. ब्रह्मपुराणम् - 191-2-3
  14. ब्रह्मापुराणम् - 191-19-23
  15. ब्रह्मपुराणम् - 214-123-128
  16. ब्रह्मपुराणम् - 216-63-66
  17. ब्रह्मपुराणम् - 223-53-58
  18. ब्रह्मपुराणम् - 227-50
  19. ब्रह्मपुराणम् - 227-53-55
  20. ब्रह्मपुराणम् -245-27-28
  21. ब्रह्मपुराणम् - 245-33

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 2 | March-April 2020
Date of Publication : 2020-04-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 107-114
Manuscript Number : GISRRJ203217
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. नानूराम जाटः, "ब्रह्मपुराणम्", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 2, pp.107-114, March-April.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203217

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