Manuscript Number : GISRRJ203339
श्रमिक नेता के रूप में डॉ अंबेडकर
Authors(1) :-डॉ.स्वदेश सिंह मुख्य रूप से हम बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत के संविधान निर्माता के रूप में जानते हैं लेकिन उससे पहले वो वॉयसरॉय की परिषद के श्रम सदस्य के रूप में काम कर चुके थे जिसे हम श्रम मंत्री भी कह सकते हैं । डॉ. अम्बेडकर ने श्रम मंत्री के रूप में लगभग 5 वर्ष (1942-1946) तक अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया । इस सीमित कालखंड में बाबा साहेब ने दलित एवं श्रमिक वर्ग के बंधुओं के हित में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह किया । इस अवधि में उन्होंने ब्रिटिश राज की बन्दिशों और सीमाओं के बावजूद श्रमिकों के लिए कई ऐसे कानून बनाये जो बाद में चलकर भारत के ही नहीं पूरे विश्व के श्रमिकों के लिए हितकारी साबित हुए । डॉ अंबेडकर द्वारा बनाए ये प्रावधान कई श्रमिक कानूनों के बनने में मार्गदर्शक सिद्ध हुए । उस समय डॉ. अंबेडकर ने कई मजदूर आन्दोलनों की मांगों को अपने एजेंडे में लिया । मजदूर संगठनों की कई मांगों को मानते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए और बाध्यकारी कानून बनवाए । उन्होंने खुद भी मजदूर संगठनों के बीच काम किया था और उनकी समस्याओं को करीब से समझा था । इस शोध आलेख में डॉ. अंबेडकर द्वारा बनाए गए श्रमिक कानूनों को केंद्र में रखकर उसका अध्ययन व विश्लेषण किया गया है ।
डॉ.स्वदेश सिंह श्रम कानून, डॉ. अंबेडकर, भारतीय संविधान, श्रमिक वर्ग, मानवाधिकार । Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 1 | January-February 2022 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, सत्यवती कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय।, भारत।
Date of Publication : 2022-02-07
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 79-84
Manuscript Number : GISRRJ203339
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203339