Manuscript Number : GISRRJ20344
प्राचीन भारतीय साहित्य में वर्णित मानवीय मूल्यों का समाजिक संदर्भ
Authors(1) :-ओम प्रकाश सिंह यादव भारत का प्राचीन साहित्य पूरी तरह से समाज केन्द्रित है । हमे आवश्यकता इस बात की है कि आधुनिकीकरण के नाम पर पाश्चात्य जीवन शैली व जीवन मूल्यों को अपनाना छोड़ दे । मानव का स्वभाव है कि उसे दूसरे की बुरी आदते जल्दी याद आती है अपनी अच्छी चीजें नहीं । अगर भारत को परम्वैभव के पद पर पहुंचाना है तो प्राचीन संस्कृति व समाज के अनुरुप आचरण करना होगा तभी हम सभ्य समाज की श्रेणी में आयेगें । हमें अपनी मानवीय मूल्यों को अपनाना होगा । अपने मानवधिकारों को लागू करना होगा पाश्चातय के मानव अधिकार सिर्फ कोरी कल्पना है हम देखते है कि वे अपने यहां कैसे रेड इण्डियनों, माओ माओरी, जन जातियों को अपनी भूमि से बेदखल करते है और हमें मानव अधिकार का पाठ पढ़ाते है । उनको हमारे मानव अधिकारों को मानवीय मूल्यों को अपने आचरण में लाना होगा हमें भी अगर देश और समाज को विश्व गुरु के पद पर प्रतिष्ठित करना है तो अपने मानव मूल्यों को अपनाना होगा । बिना मानवीय मूल्य के समाज में आतंकवाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, सम्पदायवाद, उग्रवाद, नक्शलवाद जैसी विचार दारायें पनपती रहेगी । मानव सिर्फ हाड़-मांस को पुतला रहेगा वह रिबोट् की तरह से जिस बटन को दबाओं वह वैसा व्यवहार करता रहेगा । भारत अपने उच्च श्रेष्ठता को प्राप्त करेगा और विश्व गुरु के पद को सुशोभित करेगा ।
ओम प्रकाश सिंह यादव प्राचीन भारतीय, साहित्य, मानवीय, मूल्य, समाजिक। 1. मनुस्मृति Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 1 | January-February 2020 Article Preview
स्थायी पता ग्राम टोड़रपुर, पो0-मनियां-मिर्जाबाद, गाजीपुर, उŸार प्रदेश, भारत
2. अभिज्ञानशाकुन्तलम् - 4-1
3. अभिज्ञानशाकुन्तलम् - 4-18
4. अभिज्ञानशाकुन्तलम् - 4.6
5. अभिज्ञानशाकुन्तलम्-5.24
Date of Publication : 2020-01-30
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Page(s) : 51-63
Manuscript Number : GISRRJ20344
Publisher : Technoscience Academy
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