हठयोगप्रदीपिका में वस्तिकर्म की विधि एवं उसका महत्व

Authors(1) :-मनमोहन कुमार

वस्तिकर्म दो प्रकार का है-पवनवस्ति तथा जलवस्ति। नौलिकर्म द्वारा अपानवायु को ऊपर खींचकर पुनः मयूरासन से त्यागने को ‘वस्तिकर्म’ करते हैं। पवनवस्ति पूर्णतः सिद्ध हो जाने पर जलवस्ति सुगम हो जाती है क्योंकि जल को खींचने का कारण पवन ही होता है। वस्तिकर्म के प्रभाव से गुल्म, प्लीहा, उदर और कफ-पित्त जैसे सम्पूर्ण रोग नष्ट होते हैं जो साधक के सप्त धातुओं, दस इन्द्रियों और अंतःकरण को प्रसन्न करता है।

Authors and Affiliations

मनमोहन कुमार
शोध छात्र, विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग, बी.आर.ए. बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर (बिहार)

  1. यौगिक षट्कर्म (योग की शरीर-शोधन क्रियाएॅं) डाॅॉ अयोध्या प्रसाद ‘अचल’, चैखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी, पृष्ठ-8-9.
  2. वस्ति पश्चिमोत्तानेन् चालयित्वा शनैरधः। अश्विनीमुद्रया पायुमाकु´्चयेत् प्रसारयेत्।।48।। घेरण्ड-संहिता (योगत्त्वम्), आचार्य श्रीनिवास शर्मा.
  3. गूगल प्रिन्ट मीडिया.
  4. वही.
  5. हठयोग का परिचय, डाॅॉ नितिन ढ़ोमणे, पृष्ठ-79-80.
  6. हठयोग के सिद्धान्त, डाॅॉ नवीन चन्द्र भट्ट, नेहा पाण्डेय, पृष्ठ-113-114.
  7. गूगल प्रिन्ट मीडिया.
  8. नाभिदध्नजले पायौ न्यस्तनालोत्कटासनः। आधाराकु´्चनं कुर्यात क्षलानं वस्तिकर्म तत्।।26।। हठयोगप्रदीपिका, स्वामी श्रीद्वारिकादासशास्त्री, पृष्ठ-31.
  9. कल्याण योगाङ्क, गीताप्रेस, गोरखपुर, पृष्ठ-645.
  10. यही जु वस्तिकर्म है, गुरु बिनु पावै नाहिं। लिंग-गुदा के रोग जो, गर्मी के नशि जाहिं।। कल्याण योगांक, गीताप्रेस, गोरखपुर, पृष्ठ
  11. गुल्मप्लीहोदरं चापि वातपित्तकफोद्भवाः। वस्तिकर्म प्रभावेण क्षीयन्ते सकलाभयाः।।27।। हठयोगप्रदीपिका, स्वात्माराम-कृत, पृष्ठ-48.
  12. धात्विन्द्रियान्तः करणप्रसादं दद्याच्च कान्तिं दहनप्रदीप्तिम्। अशेषदोषोपचयं निहन्यादभ्यस्यमानं जलवस्तिकर्म।।28।। हठयोगप्रदीपिका, स्वामी श्रीद्वारिकादासशास्त्री, पृष्ठ-31
  13. कल्याण योगाङ्क, गीताप्रेस, गोरखपुर, पृष्ठ-646.
  14. हठयोग के सिद्धान्त, डाॅॉ नवीन चन्द्र भट्ट, नेहा पाण्डेय, पृष्ठ-113.
  15. हठयोग का परिचय, डाॅॉ नितिन ढ़ोमणे, पृष्ठ-79.

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020
Date of Publication : 2020-07-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 44-54
Manuscript Number : GISRRJ20348
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

मनमोहन कुमार, "हठयोगप्रदीपिका में वस्तिकर्म की विधि एवं उसका महत्व ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 4, pp.44-54, July-August.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ20348

Article Preview