Manuscript Number : GISRRJ2035210
मानवता को सद्मार्ग दिखाते भर्तृहरि के उपदेश
Authors(1) :-डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी भर्तृहरि के जीवन में घटने वाली घटनाओं का प्रभाव इतना अधिक पडा कि इन्होंने जैसा जीवन व्यतीत किया उसी तरह का उनके लेखन पर भी प्रभाव पड़ता गया। यही कारण है कि जब वे अपने युवावस्था को राजा के रूप में व्यतीत कर रहे थे, तब उन्होंने श्रृंगार शतक लिखा जो कि उनके जीवन में घटित हो रहे घटनाएं तथा उनकी पटरानी पिंगला के प्रेम को दर्शाता है। वहीं जब वे राजा के रूप में न्याय की कुर्सी पर बैठते थे, तब उनके न्याय का पता उनके ग्रंथ नीतिशतक से लगाया जा सकता है। तथा वहीं जब उनकी प्रिय रानी पिंगला के द्वारा उनको धोखा दिया जाता है तथा उनके मन में बैराग्य प्रस्फुटित होता है, तो इसका लक्षण उनके ग्रंथ वैराग्यशतक में परिलक्षित होता है। इसलिए आज मानवता के लिए भर्तृहरि का जीवन दर्शन तथा उनकी रचनाएं अनुकरणीय हैं। गृहस्थ के लिए इनका श्रृंगारशतक, राजा तथा न्यायाधीश के लिए नीतिशतक तथा सन्यासी के लिए वैराग्यशतक ग्रंथ उपयोगी है । लोगों को इन ग्रंथों में दियेगये उपदेशों का अनुकरण करना चाहिए । प्रस्तुत शोधपत्र में भर्तृहरि के उपदेशों की झांकी प्रस्तुत की गई है।
डाॅ0 अरुण कुमार त्रिपाठी भर्तृहरि, वैराग्यशतक, नीतिशतक, श्रृंगारशतक, जीवन, दर्शन, उपदेश, मानवता, सद्मार्ग| Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020 Article Preview
तिघरा, नगहरा, बस्ती 48/18 HIG योजना-2 झूँसी इलाहाबाद- 211019
Date of Publication : 2020-09-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 111-114
Manuscript Number : GISRRJ2035210
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035210