कला में सृजनात्मक चिन्तन

Authors(2) :-धर्मेन्द्र कुमार, ए. के. जैतली

सृजन मानवीय प्रवृत्तियों की ऐसी प्रतिक्रिया है, जो प्रागैतिहासिक, आद्यैतिहासिक, ऐतिहासिक एवं समकालीन परिवेश में हमें विभिन्न रूपों में प्राप्त होती रही हैं। सृजनात्मक चिन्तन पर मनोवैज्ञानिक शोधकार्य पर्याप्त मात्रा में अव्यवस्थित रूप से विद्यमान हैं। इसमें कुछ अत्याधिक सैद्धान्तिक हैं, तथा आनुभविक आँकड़ों से पूर्णतया पृथक होने के कारण बहुत कम सहायक हैं। विज्ञान तर्क विधि के तरीकों का वर्णन करता है, किन्तु वह यह नहीं बताता कि उन मूल संदर्भों को कैसे प्राप्त किया जाय, जो एक प्रदत्त स्थापना को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। यह अनुमान की विधियों का वर्णन करता है, किन्तु इसमें मात्र उन प्रयोगों का चयन करने वाले नियम नहीं हैं, जो किसी वैज्ञानिक खोज को प्रदान कर सकते हैं। दरअसल यह सब विज्ञान रूपी तर्कशास्त्र से नहीं, अपितु कला रूपी तर्कशास्त्र से सम्बन्धित हैं। प्रस्तुत शोध पत्र, कला में सृजनात्मक चिन्तन की प्राचीन एवं आधुनिक प्राक्कल्पनाओं पर एक अनुशीलन है, जिसमें कला-चेतना, निरूपण, स्थितियां तथा प्रक्रिया आदि का अध्ययन इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए किया गया है कि क्या कला, सिद्धान्त एवं विधियों से युक्त रचना से सम्पृक्त होती है, अथवा रचनाकार की आनुभाविक प्रवृत्तियां भाव विशेष जगाने में सहायक होती हैं। क्या कला को विचारों, तथ्यों और प्रतीकों की दृष्टांत सामग्री के रूप में देखा जाए अथवा रचनाकार की स्वायत्त क्रिया के रूप में। दृश्य कलाओं ’रूप’ की धारणा का अस्तित्व क्या है? क्या वर्तमान परिदृश्य रचना के गढ़न में रचनाकारों को प्रभावित कर रहा हैं? इसमें सृजनात्मक चिंतन की धारणा, अभिप्राय के अनुशीलन का प्रश्न महत्वपूर्ण हो जाता है।

Authors and Affiliations

धर्मेन्द्र कुमार
शोधार्थी, दृश्यकला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश।
ए. के. जैतली
प्रोफेसर, दृश्यकला विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश।

कला, सृजनात्मक, मानवीय, प्रागैतिहासिक, आद्यैतिहासिक, ऐतिहासिक, समकालीन।

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Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 5 | September-October 2020
Date of Publication : 2020-10-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 123-128
Manuscript Number : GISRRJ2035212
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

धर्मेन्द्र कुमार, ए. के. जैतली, "कला में सृजनात्मक चिन्तन", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 5, pp.123-128, September-October.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035212

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