छायावादी काव्य दृष्टि और निराला का काव्य संसार

Authors(1) :-डॉ0 बालेश्वर प्रसाद

निराला की संवेदनाओं का क्षितिज बहुत व्यापक और प्रशस्त है। उनका काव्य समग्र जीवन को अपनी परिधि में समेटने वाला जीवन की समग्रता का काव्य है। उसमें जीवन का सम्पूर्ण संगीत, संवादी-विवादी सारे स्वरों के साथ गुंजायमान है। उसमें जीवनशतधा अपनी सम्पूर्ण छवियों के साथ, राग-विरागमयी अपनी पूरी भंगिमाओं को लिए हुए विद्यमान है। नौ रसों के पृथक-पृथक वैशिष्टय को सहेजे हुए वह उनकी समष्टि भी है।

Authors and Affiliations

डॉ0 बालेश्वर प्रसाद
सहा0प्रोफेसर, हिन्दी-विभाग, अतर्रा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अतर्रा, बाँदा, उत्तर प्रदेश।

छायावादी, काव्य, दृष्टि, निराला, संसार, समष्टि, रीतिकालीन।

  1. हिन्दी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, पृ0 362
  2. छायावाद, आधुनिक हिन्दी साहित्य की प्रवृत्तियाँ, डॉ0 नामवर सिंह, पृ0 11
  3. छायावाद, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी, सरस्वती, पृ0 7
  4. वर्ड्सवर्थ
  5. छायावाद, आचार्य नन्द दुलारे बाजपेयी।
  6. कवि निराला, आचार्य नन्द दुलारे बाजपेयी, पृ0 21
  7. रवीन्द्र कविता कानन, निराला, पृ0 88
  8. राम की शक्ति पूजा, निराला।
  9. प्रबन्ध-पद्य, निराला, पृ0 50
  10. अनामिका, पृ0 42
  11. वनबेला, निराला

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020
Date of Publication : 2020-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 164-168
Manuscript Number : GISRRJ2035215
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ0 बालेश्वर प्रसाद, "छायावादी काव्य दृष्टि और निराला का काव्य संसार ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 3, pp.164-168, May-June.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035215

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