Manuscript Number : GISRRJ2035215
छायावादी काव्य दृष्टि और निराला का काव्य संसार
Authors(1) :-डॉ0 बालेश्वर प्रसाद निराला की संवेदनाओं का क्षितिज बहुत व्यापक और प्रशस्त है। उनका काव्य समग्र जीवन को अपनी परिधि में समेटने वाला जीवन की समग्रता का काव्य है। उसमें जीवन का सम्पूर्ण संगीत, संवादी-विवादी सारे स्वरों के साथ गुंजायमान है। उसमें जीवनशतधा अपनी सम्पूर्ण छवियों के साथ, राग-विरागमयी अपनी पूरी भंगिमाओं को लिए हुए विद्यमान है। नौ रसों के पृथक-पृथक वैशिष्टय को सहेजे हुए वह उनकी समष्टि भी है।
डॉ0 बालेश्वर प्रसाद छायावादी, काव्य, दृष्टि, निराला, संसार, समष्टि, रीतिकालीन। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020 Article Preview
सहा0प्रोफेसर, हिन्दी-विभाग, अतर्रा स्नातकोत्तर महाविद्यालय, अतर्रा, बाँदा, उत्तर प्रदेश।
Date of Publication : 2020-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 164-168
Manuscript Number : GISRRJ2035215
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2035215