Manuscript Number : GISRRJ203525
काव्यप्रस्थानवादियों के मत में अलंकार विमर्श: रुद्रट के विशेष सन्दर्भ में
Authors(1) :-गरिमा यादव काव्य-सौन्दर्य की परख करने वाले शास्त्र का नाम ‘काव्यशास्त्र‘ है। काव्यशास्त्र के प्रारम्भिक युग में इसके लिए मुख्य रूप से ‘काव्यालंकार‘ शब्द का प्रयोग होता था। भामह का कारिका-रूप में लिखा हुआ काव्यशास्त्र का आदि ग्रन्थ ‘काव्यालंकार‘ नाम से ही प्रसिद्ध है। उद्भट ने भी अपने ग्रन्थ का नाम ‘काव्यालंकारसारसंग्रह’ रखा है। रुद्रट के काव्यशास्त्र विषयक ग्रन्थ का नाम भी ‘काव्यालंकार‘ है। वामन ने ‘‘सौन्दर्यमलंकारंः‘‘1 सूत्र लिखकर अलंकार शब्द का सौन्दर्यपरक प्रतिपादन किया है। अन्य सब आचार्यों ने भी काव्य के सौन्दर्याधायक धर्मों को अलंकार नाम से व्यवहृत किया है। ‘‘काव्यशोभाकरान् धर्मान् अलंकारान् प्रचक्षते‘‘2 आदि वचन भी इसी मत की पुष्टि करते हैं।
गरिमा यादव Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 3 | May-June 2020 Article Preview
संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज,उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2020-06-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 139-143
Manuscript Number : GISRRJ203525
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203525