औपनिषदिक नीति-तत्त्वों की वर्तमान में प्रासंगिकता

Authors(1) :-वर्तिका मिश्रा

नीतियाँ जीवन का आधार होती हैं, तथा उपनिषद् वाङ्मय ने सरस, सहज, उपदेशात्मक शैली के माध्यम से नीतियों को सम्पूर्ण मानव-जाति तक पहुँचाया है। उपनिषदों में अन्तर्निहित नीति-तत्व, सत्य, त्याग, दान, दया, अहिंसा, क्षमा, परोपकार इत्यादि सम्पूर्ण मानव जाति के श्रेय का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

Authors and Affiliations

वर्तिका मिश्रा
शोध छात्रा, एस०आर०एफ०, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,भारत।

उपनिषद्, सत्याचरण, नीति-तत्त्व, आमुष्मिक, स्वानुभूति, आध्यात्मिकता।

  1. मुक्ति कोपनिषद् (1.29)
  2. वही (1.27)
  3. वही (1.30)
  4. ईशावास्योपनिषद् मन्त्र सं0 1
  5. वही मन्त्र सं0 2
  6. बृहदारण्यकोपनिषद्5.3
  7. कठोपनिषद् (1.1.3)
  8. वही (1.1.6)
  9. वही (1.1.8)
  10. वही (1.3.14)
  11. तैत्तिरीयोपनिषद् शिक्षा वल्ली अनुवाद सं0-11.2
  12. वही1
  13. छान्दोग्योपनिषत् चतुर्थ अध्याय, चतुर्थ खण्ड
  14. वही14.1
  15. वही8.7
  16. बृहदारण्यकोपनिषद्4.5
  17. वही2.1-3
  18. वही3.28
  19. केन उपनिषद्
  20. भारतीय दर्शन की विशेषताएँ P. Sinha
  21. History of Indian philosophy - Vol. 1 P.-40 Dr. Das Gupta.
  22. Constructive Surrey of Upnisadic Philosophy - Ramchandra Dattarya Ranade.

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-11-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 01-07
Manuscript Number : GISRRJ20361
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

वर्तिका मिश्रा, "औपनिषदिक नीति-तत्त्वों की वर्तमान में प्रासंगिकता", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 6, pp.01-07, November-December.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ20361

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