Manuscript Number : GISRRJ2036710
संस्कृत साहित्य में श्रीराधा विषयक विविध मान्यताएं एक अनुशीलन
Authors(1) :-डाॅ0 प्रभात कुमार कृष्ण को आह्लाद या प्रेम प्रदान करने के कारण वह स्वयं आह्लादरूपिणी या प्रेमरूपिणी है। गौड़ीय आचार्यों ने आहलादिनी और प्रेम का सम्बन्ध अपने ग्रन्थों में स्पष्ट किये है। कृष्णदास कविराज अपने ग्रन्थ में प्रेम-तत्त्व को स्पष्ट करते हुए बताया है कि आह्लादिनी का सार प्रेम है, प्रेम का सार भाव और भाव का सार अथवा पराकाष्ठा महाभाव है। श्रीराधा महाभाव स्वरूपा है।
डाॅ0 प्रभात कुमार श्रीराधा, संस्कृत, साहित्य, भक्ति, कला, कृष्ण। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020 Article Preview
असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती डीम्ड विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश,भारत।
Date of Publication : 2020-12-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 183-188
Manuscript Number : GISRRJ2036710
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ2036710