Manuscript Number : GISRRJ203678
शुष्क परिस्थितियों में कृषि उधान योजना
Authors(1) :-डॉ. नरेन्द्र कुमार सांखला जिप्सम भूमि के हानिकारक कार्बोनेट को सोडियम में बदल देता है जो कि कम हानिकारक होता है। जिप्सम को बारीक पीसकर प्रयोग में लाना चाहिये। वर्षा के बाद या जून जुलाई में सिंचाई के बाद खेत को जोतकर जिप्सम की पूरी मात्रा एक साथ बिखेरकर जुताई कर देनी चाहिए खाद के उपचार से मिटटी में उपस्थिति हानिकारक कैल्शियम कार्बोनेट लवण की घुलनशीलता बढ़ जाती है जिससे यह जड क्षेत्र से नीचे चला जाता हैं। वृक्ष लगाना या बगीचा लगाना एक स्थायी नियोजन है अतः एक ध्यान रखा चाहिये कि वृक्षारोपण योजना इस प्रकार से की जाए जिससे स्थानीय परिस्थितियों, जलवायु, मिटटी व बाग लगाने के उदेश्यों व आवश्यकताओं की पूर्ति हो सके। प्रदेश के जयपुर जिले में बगीचों के लिये आंवला, बेर, बील, लहसुवा, नीबू, करोन्दा आदि को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। भारत कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 70 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या कृषि पर या कृषि सम्बन्धित व्यवसाय पर अपना जीवन निर्भर करती है। देश के विभिन्न राज्य सूखे की चपेट में है जिसमें राजस्थान राज्य मुख्य है। राजस्थान मरुस्थलीय प्रदेश है, जो क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है परनतु सिंचाई के स्त्रोत या पानी उपलब्धता एक प्रतिशत है। इस राज्य की खेती वर्षा पर निर्भर करती है एवं वर्षा की स्थिति पिछले चार वर्षों से विकट है। वर्षा की स्थिति अपने पूर्व सभी रिकार्ड तोडती जा रही है। यह स्थिति कृषि व्यवस्था की मेरुदण्ड को तोड रही है एवं कृषक भयंकर अकाल व सूखे की चपेट में है।
डॉ. नरेन्द्र कुमार सांखला शुष्क‚ परिस्थितियों‚ कृषि‚ उधान‚ योजना। Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020 Article Preview
भूगोल विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर‚भारत।
Date of Publication : 2020-12-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 158-178
Manuscript Number : GISRRJ203678
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ203678