दत्तक पुत्र का संपत्त्याधिकार (प्राचीन से अधुनापर्यन्त)

Authors(1) :-डाॅ. सर्वेश कुमार

दत्तक को मान्यता प्रदान कर सम्पत्ति के सम्बन्ध में उसके अधिकारों का विधिवत् विवेचन किया गया है। किन परिस्थितियों में वह सम्पत्ति में बराबरी का हिस्सेदार होगा, किन परिस्थितियों में वह सम्पत्ति के विभाजन की माँग कर सकेगा आदि विषयों को युक्तिसंगत ढंग से नियमित व व्याख्यायित किया गया है। दत्तकग्रहण की संकल्पना को अब पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष बना दिया गया है।

Authors and Affiliations

डाॅ. सर्वेश कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, के.एन.आई.पी.एस.एस., सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश, भारत।

दत्तक पुत्र, संपत्त्याधिकार, प्राचीन, आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष, धर्मसूत्र,याज्ञवल्क्य स्मृति, लोहित स्मृति।

  1. असंस्कृतानामतिसृष्टां यामुपयच्छेत्तस्या यो जातस्य कानीनः। बौ. धर्म. 3/2/24
  2. मनु. 9/168
  3. याज्ञ. 8/130
  4. मात्रा भत्र्रनुज्ञया प्रोषिते प्रेते वा भर्तरि पित्रा वोभाभ्यां वा सवर्णाय यस्मै दीयते स तस्य दत्तकः पुत्रः। याज्ञ., मिताक्षरा व्याख्या
  5. लोहित स्मृति 186
  6. वीरमित्रोदय, मित्रमिश्र, पृ. 477
  7. मुथुकृष्णन बनाम श्री पलानी (1969), मद्रास लाॅ जर्नल 129
  8. चन्द्रानी बनाम प्रदीप, 1991, मध्य प्रदेश, 286; धारा 12(ग)
  9. दीनाजी बनाम डांडी, 1990 सु.को. 1153
  10. चिरंजीलाल श्रीलाल गोयनका बनाम जगजीत सिंह, 2001, सु. को. 266
  11. खजान सिंह बनाम भारतसंघ, ए.आई.आर. (1980) दिल्ली 70 (इसमें अनुसूचित जाति में क्षत्रिय बालक को गोद लिया गया था)

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 6 | November-December 2020
Date of Publication : 2020-12-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 42-45
Manuscript Number : GISRRJ20369
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. सर्वेश कुमार , "दत्तक पुत्र का संपत्त्याधिकार (प्राचीन से अधुनापर्यन्त)", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 6, pp.42-45, November-December.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ20369

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