आधुनिक परिप्रेक्ष्य में योग की स्वास्थ्य विषयक अवधारणा

Authors(1) :-डॉ० उमाकान्त यादव

योग आत्मोपचार एवं आत्मदर्शन की श्रेष्ठ आध्यात्मिक विद्या है। यह व्यक्तित्व को वामन से विराट बनाने का सशक्त माध्यम है। साथ ही यह एक उत्तम चिकित्सा पद्धति है जो शारीरिक एवं मानसिक व्याधि को निर्मूल करती है। योग एलोपैथी की तरह कोई लाक्षणिक चिकित्सा नहीं है अपितु यह रोगों के मूल कारण को दूर कर हमें आन्तरिक स्वस्थता प्रदान करता है। अतः आधुनिक युग में योगविद्या को पूर्णनिष्ठा से अपनाने की आवश्यकता है।

Authors and Affiliations

डॉ० उमाकान्त यादव
प्रोफेसर, संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश, भारत।

आधुनिक, योग, स्वास्थ्य, आत्मदर्शन, आध्यात्मिक, विद्या, शरीरिक, मानसिक, चिकित्सा,योगविद्या।

  1. वृहद्योगियाज्ञवल्क्य स्मृति, 12.5
  2. योग सूत्र, 1.2
  3. योग सूत्र, 1.6
  4. योग सूत्र, 2.29
  5. योग सूत्र, 2.30
  6. योग सूत्र, 2.32
  7. योग सूत्र, 2.46
  8. योग सूत्र, 2.49
  9. योग सूत्र, 2.54
  10. योग सूत्र, 3.1
  11. योग सूत्र, 3.2
  12. योग सूत्र, 3.3
  13. हठ0 1.2
  14. हठ0 2.76
  15. हठ0 2.78
  16. योग सूत्र, विभूतिपाद के प्रारम्भ में व्यासभाष्य
  17. योग सूत्र7
  18. प्रो0 संगमलाल पाण्डेय, भारतीय दर्शन का सर्वेक्षण, पृ0 22
  19. गीता17
  20. योग सूत्र49 पर व्यास भाष्य।
  21. योग सूत्र52 पर व्यास भाष्य।
  22. हठ0 2.44
  23. हठ0 2.22-37
  24. घेरण्ड, 1.12.59
  25. हठ0 2.22
  26. हठ0 2.33
  27. हठ0 3.6

Publication Details

Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020
Date of Publication : 2020-07-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 68-75
Manuscript Number : GISRRJ21332
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ० उमाकान्त यादव, "आधुनिक परिप्रेक्ष्य में योग की स्वास्थ्य विषयक अवधारणा", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 3, Issue 4, pp.68-75, July-August.2020
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21332

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