जे० कृष्णमूर्ति के अनुसार धर्म और नैतिकता

Authors(1) :-डाॅ. संजय कुमार

कृष्णमूर्ति समझ (न्दकमतेजंदकपदह) को ही मौलिक मानते हैं। समझ ही सत्य का बोध है, समझ ही प्रज्ञा है, समझ ही धर्म है, समझ ही नैतिकता है, क्योंकि इनका अलग-अलग अस्तित्व न होकर सह अस्तित्व होता है।

Authors and Affiliations

डाॅ. संजय कुमार
एसोसिएट प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र विभाग, आर.डी ऐंड डी.जे काॅलेज, मुंगेर विश्वविद्यालय,मुंगेर, बिहार।

कृष्णमूर्ति, धर्म, नैतिकता, मौलिक, बोध, अस्तित्व, सत्य।

  1. जे. कृष्णमूर्ति, फ्रीडम फ्रॉम द नौन, पृ. 2-3
  2. जे. कृष्णमूर्ति, कमेन्ट्रीज ऑन लिविंग, (फस्र्ट सीरिज), पृ. 217
  3. जे. कृष्णमूर्ति, टॉक्स बाय कृष्णमूर्ति इन इंडिया, पृ. 10
  4. जे. कृष्णमूर्ति, ऑन एजुकेशन
  5. जे. कृष्णमूर्ति, गस की उड़ान (अनुवादित), पृ. 62-63
  6. जे. कृष्णमूर्ति, द फस्र्ट एण्ड लास्ट फ्रीडम, पृ. 52
  7. जे. कृष्णमूर्ति, कमेन्ट्रीज ऑन फ्रीडम (थर्ड सीरिज), पृ. 33
  8. जे. कृष्णमूर्ति, सेविंग्स ऑफ जे. कृष्णमूर्ति, पृ. 223
  9. जे. कृष्णमूर्ति, कमेन्ट्रीज ऑन लिविंग (फर्स्ट सीरिज), पृ. 242
  10. जे. कृष्णमूर्ति, सेयिंग्स ऑफ जे. कृष्णमूर्ति, पृ. 2
  11. वही
  12. वही
  13. जे. कृष्णमूर्ति, ह्वाट आर यू डुडिंग विद योर लाईफ, पृ. 179
  14. जे. कृष्णमूर्ति, सेविंग्स ऑफ जे. कृष्णमूर्ति, पृ. 64
  15. जे. कृष्णमूर्ति, टाक्स विथ स्टूडेन्ट्स, पृ. 175
  16. जे. कृष्णमूर्ति, सेयिंग्स ऑफ जे. कृष्णमूर्ति, पृ. 70
  17. वही
  18. वही
  19. वही
  20. जे. कृष्णमूर्ति, कामेन्ट्रीज ऑन लिविंग, पृ. 28

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 3 | May-June 2021
Date of Publication : 2021-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 114-123
Manuscript Number : GISRRJ213320
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. संजय कुमार, "जे० कृष्णमूर्ति के अनुसार धर्म और नैतिकता", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 3, pp.114-123, May-June.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ213320

Article Preview