Manuscript Number : GISRRJ21346
राजकिशोर पट्टनायक की कहानी में असहाय मनुष्य
Authors(1) :-डॉ. शरत कुमार जेना मनुष्य को मनुष्य के रूप में प्रेम करना, एक-दूसरे के व्यक्तित्व का सम्मान करना तथा अंतर्मन के सद्गुणों जैसे स्नेह, प्रेम, ममता, त्याग और सहनशीलता आदि के माध्यम से दूसरों को अपनाना ही मानवीयता की भावना है। मनुष्य की सबसे बड़ा कर्तव्य यह है कि वह दूसरे मनुष्य में माधव (ईश्वरतुल्य) को देखे और उसे अपनाए। मनुष्य के जीवन को छोड़ कर एक सफल, जीवनमुखी साहित्य का निर्माण संभव नहीं है। इसलिए साहित्य के प्रत्येक भाव में मनुष्य जीवन के विविध पक्षों और मानवीयता की भावना का यथार्थ चित्रण होता ळें आधुनिक ओड़िया लघुकथा प्राचीन काल की साधारण कथात्मक गल्प नहीं है, बल्कि यह वास्तविक जीवन की जिज्ञासाओं और खंडित अभिव्यक्तियों को लेकर कल्पित समस्याओं से ग्रस्त मनुष्य जीवन की व्याख्या है। मनुष्य के प्रति आत्मीय हृदय की श्रद्धा और सहानुभूति दिखाकर तथा अपने कथाशिल्प को मार्मिक और हृदयस्पर्शी बनाकर जो लेखक इसे प्रभावशाली रूप में प्रस्तुत कर सकता है, वह हैं मानवतावादी रचनाकार राजकिशोर पट्टनायक। उन्नीसवीं शताब्दी के चैथे दशक से लेकर नब्बे के दशक तक की अपनी सृजन यात्रा में उन्होंने असंख्य कहानियाँ रचीं, जो जीवन और जगत की सूक्ष्म समझ तथा गहरी दार्शनिक दृष्टि पर आधारित हैं। हर स्थान पर उन्होंने जीवन के छद्म आवरण को उघाड़ा है। उन्होंने सहजता से हृदय की गहराइयों से उठती आत्मीयता और मानवीयता की भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है।
डॉ. शरत कुमार जेना पट्टनायक, कहानी, असहाय, मनुष्य, आत्मीयता, मानवीयता, हृदयस्पर्शी।
Publication Details Published in : Volume 3 | Issue 4 | July-August 2020 Article Preview
असिस्टन्ट प्रोफेसर, ओड़िया विभाग, विश्व-भारती विश्वविद्यालय,शांतिनिकेतन,पश्चिम-बंगाल।
Date of Publication : 2020-07-30
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 84-88
Manuscript Number : GISRRJ21346
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21346