बौद्ध शिक्षा पद्धति एवं इससे जुड़े संगठन

Authors(1) :-रणविजय नारायण ठाकुर

बौद्ध शिक्षण पद्धति का आरंभ स्वयं महात्मा बुद्ध ने किया था, जिसमें सरल और सुबोध जनभाषा में जीवन के तत्वों की चर्चा थी। व्याख्यान और प्रश्नोत्तर के आधार पर विचारों का आख्यान किया गया था। उन्होंने धर्म के प्रचार में प्रासंगिक उपमा, दृष्टांत, उदाहरण, कथा आदि का समावेश किया था जिससे उसका तत्व श्रोताओं को सरलतापूर्वक बोधगम्य होता था। विचार-विनिमय, तर्क और पर्यालोचन को बौद्ध धर्म में प्रतिष्ठित किया गया। बौद्ध शिक्षा पद्धति में सत्य, दार्शनिक तथ्य, तर्क, पर्यवेक्षण, मनन आदि पर अधिक बल दिया गया। बुद्ध के पश्चात् समाज में बौद्ध शिक्षा का क्रमशः प्रसार होने लगा। बौद्ध मठों और बिहारों के माध्यम से बौद्ध शिक्षा का प्रचार भारत के विभिन्न भागों में हुआ था। प्रारंभ में हिन्दू और बौद्ध शिक्षाओं के मूल में कोई विशेष अंतर नहीं था, किंतु बाद में आकर दोनों शिक्षा-प्रणालियों के आदर्श और पद्धति में बहुत कम साम्य रह गया।

Authors and Affiliations

रणविजय नारायण ठाकुर
इतिहास विभाग, पंडित यमुना कार्यी जयंती महाविद्यालय, बी॰आर॰ए॰बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर,भारतम्।

  1. जातक प्रथम, पृ. 437-39।
  2. जातक, चतुर्थ, पृ. 237।
  3. इत्सिंग, पृ. 117-120।
  4. वाटर्स, प्रथम पृ. 159-61।
  5. बील, पृ. 112।
  6. इत्सिंग, पृ. 184।
  7. जातक प्रथम, पृ. 437-439।
  8. मज्झिम निकाय, पृ. 103।
  9. महावग्ग, 1.50।
  10. मिलिन्दपन्हो, 1.28।
  11. जातक प्रथम, पृ. 106।
  12. चुलवग्ग, 6.6.4।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 4 | July-August 2021
Date of Publication : 2021-08-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 05-09
Manuscript Number : GISRRJ21442
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

रणविजय नारायण ठाकुर, "बौद्ध शिक्षा पद्धति एवं इससे जुड़े संगठन", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 4, pp.05-09, July-August.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ21442

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