वेदों में कृषि विज्ञान

Authors(2) :-नज़मी गौहर, डाॅ. देवानारायण पाठक

वर्तमान समय में लोगों ने कृषि को व्यापार का एक जरिया (साधन) बना रखा है। कृषि में अत्यधिक मशीनों एवं रसायनिक खाद्यों का प्रयोग किया जाने लगा है जिससे पैदावार अधिक से अधिक किया जा सके भले ही वो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक ही क्यों न हो परन्तु इसके विपरीत वैदिक कालीन कृषि में खाद्य के रूप में गोबर खाद्य एवं घर के गीले कचरे से खाद्य बनाकर खेती होती थी। वैदिक कालीन कृषि आधुनिक कृषि की तुलना में ज्यादा सुरक्षित एवं स्वास्थ्य के लिए हितकर थी।.

Authors and Affiliations

नज़मी गौहर
शोधच्छात्रा, संस्कृत विभाग, नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज उत्तर प्रदेश
डाॅ. देवानारायण पाठक
संस्कृत विभागाध्यक्ष नेहरू ग्राम भारती मानित विश्वविद्यालय, प्रयागराज उत्तर प्रदेश

कृषि विज्ञान, वेदों में कृषि विज्ञान, वेदों में सिचाई, पशु पालन, वेदों में बीज बोने की शिक्षा।

  1. तैत्तिरीय उपनिषद
  2. ऋग्वेद - 34. 13
  3. ऋग्वेद - 101. 3
  4. शतपथ ब्राह्मण - 6. 1. 3
  5. ऋग्वेद - 78. 10
  6. ऋग्वेद - 34.13
  7. अथर्ववेद - 1. 12
  8. ऋग्वेद - 71. 2
  9. कृषि पाराशर - श्लोक नं0-8
  10. अथर्वकाण्ड 3 -
  11. ऋग्वेद -
  12. यजुर्वेद - 38
  13. यजुर्वेद - 25
  14. यजुर्वेद - 68
  15. यजुर्वेद - 68
  16. यजुर्वेद - 17. 6.

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 59-62
Manuscript Number : GISRRJ214561
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

नज़मी गौहर, डाॅ. देवानारायण पाठक, "वेदों में कृषि विज्ञान", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 5, pp.59-62, September-October.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214561

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