बुजुर्ग पीढ़ियों का आख्यान : गिलिगडु

Authors(1) :-पुष्पा यादव

भारत विश्व में संबंधों की आत्मीयता और गरिमा के लिये जाना जाता है, लेकिन अब यहां भी स्थितियां बदल चुकी हैं। चित्रा ने इस उपन्यास के बहाने बुजुर्गों की दुनिया के अनेकों ऐसे मनोभावों को सूक्ष्म स्तर पर अभिव्यक्त करने की कोशिश की जिनसे हमारी युवा पीढ़ी बेखबर है। आधुनिकता बोध, उदारीकरण और सूचना प्रौद्योगिकी की आंधी ने भारतीय जीवन-मूल्यों को बिखेर दिया है। उपभोक्ततावादी संस्कृति ने वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को खोखला सिद्ध कर दिया और संयुक्त परिवार का एकल परिवार में तब्दील होने से एकल परिवार की विसंगतियों को परिवार के बुजुर्गों को सहना पड़ता है। जहां व्यक्ति अपना संपूर्ण यौवन अपने बच्चों के लिये होम कर देता वहीं बच्चे अपने कर्तव्य से विमुख होकर माता-पिता को अकेलेपन में जीवन जीने के लिये छोड़ देते हैं। बाबू कर्नल स्वामी और बाबू जसवंत सिंह जैसे वृद्ध पात्रों की संख्या हमारे समाज में बहुत हैं जो किसी न किसी रूप में अकेलापन जीने के लिये विवश हैं। परिवार समाज की प्रथम इकाई होती है। परिवार के प्रत्येक सदस्य का कर्तव्य है कि बुजुर्गों की देखभाल करें। बुजुर्गों के प्रति सम्मानजनक और गरिमामय वातावरण निर्मित करना परिवार, समाज और सरकार संयुक्त रूप से उत्तरदायित्व है।

Authors and Affiliations

पुष्पा यादव
शोध छात्रा, पंजाब केन्द्रीय विश्वविद्यालय, पंजाब, बठिंडा

बुजुर्ग, पीढ़ियां, आख्यान, गिलिगडु,, भारत, विश्व, आत्मीयता, गरिमा, परिवार, समाज|

  1. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, निबन्ध, वृद्धावस्था
  2. मनुस्मृति, 2/121
  3. मुद्गल, चित्रा, गिलिगडु, सामयिक प्रकाशन, प्रथम संस्करण 2002, नयी दिल्ली, पृष्ठ संख्या 138
  4. वही........पृष्ठ संख्या 36
  5. वही........पृष्ठ संख्या 14
  6. वही.........पृष्ठ संख्या 96
  7. वही........पृष्ठ संख्या 59
  8. सं. संजय गुप्त, दैनिक जागरण (राष्ट्रीय संस्करण), दैनिक हिन्दी समाचार पत्र, रविवारीय अंतराल के अंतर्गत ‘अपनोंकी अनदेखी का दर्द’- क्षमा शर्मा, नयी दिल्ली, 11 जून 2017
  9. मुद्गल, चित्रा, गिलिगडु, सामयिक प्रकाशन, प्रथम संस्करण 2002, नयी दिल्ली, पृष्ठ संख्या 61
  10. वही.........पृष्ठ संख्या 61
  11. वही.........पृष्ठ संख्या 61-62
  12. वही.........पृष्ठ संख्या
  13. वही.........पृष्ठ संख्या 144
  14. वही.........पृष्ठ संख्या 144
  15. वही.........पृष्ठ संख्या 33-34
  16. वही.........पृष्ठ संख्या 34
  17. वही.........पृष्ठ संख्या 96-97
  18. सराफ़, डॉ. नीलम, हिन्दी उपन्यास सामाजिक समस्याएँ, हिन्दी बुक सेन्टर, नयी दिल्ली, पृष्ठ संख्या 106
  19. मुद्गल, चित्रा, गिलिगडु, सामयिक प्रकाशन, प्रथम संस्करण 2002, नयी दिल्ली, पृष्ठ संख्या 93

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 63-69
Manuscript Number : GISRRJ214562
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

पुष्पा यादव , "बुजुर्ग पीढ़ियों का आख्यान : गिलिगडु", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 5, pp.63-69, September-October.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214562

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