संस्कार एवं आश्रम व्यवस्था की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समीक्षा

Authors(1) :-प्रभा चतुर्वेदी

संस्कारों के विवेचन से स्पष्ट होता है कि यद्यपि वर्तमान समय में सुरक्षात्मक दृष्टि से विभिन्न नियम-कानून बनाए गये हैं फिर भी बदलते परिवेश, पाश्चात्य दृष्टिकोण व संकुचित मानसिकता आदि के कारण संस्कारों का वास्तविक स्वरूप एवं उद्देश्य विकृत हो गया है। जिसके कारण आज समाज में पारस्परिक विद्वेष, नैतिक एवं चारित्रिक पतन जैसी विषम प्रवृत्तियाँ दृष्टिगोचर हो रही हैं। यदि इन संस्कारों का समुचित रीति से नियमपूर्वक पालन किया जाए तो प्रतिभा सम्पन्न व्यक्तित्व का निर्माण तथा आध्यात्मिक प्रवृत्ति सम्भव हो सकती है।

Authors and Affiliations

प्रभा चतुर्वेदी
शोध छात्रा, संस्कृत विभाग, राजकीय महाविद्यालय, कोटा, राजस्थान, भारत।

संस्कार, व्यवस्था, सदस्य, कर्तव्य, अधिकार, वर्णव्यवस्था, समाज, स्मृति, साहित्य, धर्म।

  1. पाण्डेय, डॉ. राजबली, हिन्दू-संस्कार, पृ.351-352
  2. काणे, पी.वी., धर्मशास्त्र का इतिहास, प्रथम भाग, पृ.180
  3. (क) आशा रानी व्होरा, औरत कल, आज और कल, पृ.136

(ख) प्रो. सरिता वाशिष्ठ, महिला और कानून, पृ.132-133

  1. परांजपे, डॉ. ना.वि., भारतीय दण्ड संहिता, संस्करण 2008, पृ.545
  2. शर्मा, हरद्वारी लाल, संस्कृति-विज्ञान की रूप-रेखा, पृ.199
  3. काणे, पी.वी., धर्मशास्त्र का इतिहास, प्रथम भाग, पृ.180
  4. प्रीति प्रभा गोयल, भारतीय संस्कृति, पृ.74
  5. द्विवेदी, श्री व्रजवल्लभ, भारतीय संस्कृति के मूल तत्त्व, पृ.4
  6. डॉ. किरण टण्डन, भारतीय संस्कृति, पृ.60
  7. काणे, पी.वी., धर्मशास्त्र का इतिहास, प्रथम भागए पृ.196 तथा 180
  8. पुरोहित, डॉ. सोहन कृष्ण, उपनयन संस्कार मीमांसा, पृ.136
  9. पाण्डेय, डॉ. राजबली, हिन्दू संस्कार, पृ.149-150
  10. पुरोहित, डॉ. सोहन कृष्ण, उपनयन संस्कार मीमांसा, पृ.110
  11. सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु एवं केतु । दीक्षित, स्व. श्री शंकर बालकृष्ण,

अनु.-झारखण्डी, शिवनाथ, भारतीय ज्योतिष, पृ.733-734

  1. शास्त्री, धरणीधर : सुगम उपनयन पद्धति, पृ.45-54
  2. डॉ., किरण टण्डन, भारतीय संस्कृति, पृ.134
  3. तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.35
  4. काणे, पी.वी., धर्मशास्त्र का इतिहास, प्रथम भाग, पृ.281
  5. तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.41
  6. (क) अश्रवं हि भूरिदावत्तरा वां विजामातुरुत वा द्या स्यालात् ।। ऋ., 1/109/2

(ख) दयति दोषा मर्यतो वधूयोः परिप्रीता पन्यसा वार्येण । वही, 10/27/12

  1. तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.60 र वही, पृ
  2. तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.46
  3. काणे, पी.वी., धर्मशास्त्र का इतिहास, प्रथम भाग, पृ.306
  4. प्रो. सरिता वाशिष्ठ, महिला और कानून, पृ.136-137
  5. (क) तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.69-73

(ख) कापड़िया, के.एम., भारतवर्ष में विवाह एवं परिवार, पृ.160-162, 172

(ग) आशा रानी व्होरा, औरत कल, आज और कल, पृ.134

  1. (क) आशा रानी व्होरा, औरत कल, आज और कल, पृ.135

(ख) प्रो. सरिता वाशिष्ठ, महिला और कानून, पृ.111, 133-134

  1. तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.51
  2. (क) आशा रानी व्होरा, औरत कल, आज और वफल, पृ.136

(ख) प्रो. सरिता वाशिष्ठ, महिला और कानून, पृ.135-136

  1. (क) कापड़िया, के.एम., भारतवर्ष में विवाह एवं परिवार, पृ.120

(ख) तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, पृ.31-32

(ग) प्रो. सरिता वाशिष्ठ, महिला और कानून, पृ.133-134

  1. जोशी, डॉ. प्रदीप कुमार, प्राचीन भारतीय शास्त्रों में वर्णित गार्हस्थ्य आश्रम, पृ.152-153
  2. (क) कापड़िया, के.एम., भारतवर्ष में विवाह एवं परिवार, पृ.123-124

(ख) तोमर, प्रो. राम बिहारी सिंह, भारतीय सामाजिक संस्थाएँ, प.35-36

  1. आशा रानी व्होरा, औरत कल, आज और कल, पृ.134-135

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 92-101
Manuscript Number : GISRRJ214566
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

प्रभा चतुर्वेदी, "संस्कार एवं आश्रम व्यवस्था की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में समीक्षा", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 5, pp.92-101, September-October.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214566

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