संस्कृत भाषा में स्मरण का महत्त्व

Authors(1) :-डॉ. सुनील कुमार शर्मा

"संस्कृतं नाम दैवी वाक् अन्वाख्याता महर्षिभिः" यह उक्ति हमें निश्चितरूप से संस्कृत के गौरवशाली स्थान को स्मरण कराती है। यही नहीं हमें उन ऋषियों महर्षियों एवं महान् विद्वान विभूतियों की भी याद दिलाती है, जिन्होंने इसे संरक्षित किया एवं परिवर्धित किया है। वस्तुतः संस्कृत शिक्षा वैदिक काल से चलती आ रही है। यह शिक्षा पहले से ही आश्रम पद्धति में अथवा गुरुकुलीय प्रणाली का एक अंग थी। संस्कृत भाषा तो उद्गम स्थल का स्त्रोत बना हुआ पानी शिलाओं का विदीर्ण करते हुए महानदी का आकार ले लेता है। अतः कहा जा सकता है कि तुलनात्मक नजरिये से संस्कृत भी कभी सीमित दायरे में नही थी, क्योंकि संस्कृत भाषा का मनुष्य के जीवन से लेकर मृत्यु पर्यन्त तक की सभी क्रियाओं से सम्बन्ध होता है। यह उपासना स्थलों पर हमेशा गूँजती रहती है। वस्तुतः संस्कृत शिक्षा की वर्तमान परिस्थिति को यदि आंका जाय तो आज भी आंग्ल भाषायी बाहुल्य देश में यह हमारे सामने असहाय प्रतीत होती है।क्योंकि आजकल के विद्यार्थी विषय के स्मरण में विश्वास नहीं रखते, उनका मानना है कि विषयवस्तु को समझना जरूरी है, कण्ठस्थ करना नहीं। लेकिन संस्कृत भाषा के अध्ययन में विषय अवगाहन के साथ मुख्य तथ्यों को प्रमाणित करने के लिए स्मरण रखना भी अत्यावश्यक है। अतः संस्कृत भाषा शिक्षण में ‘स्मरण’ को पूर्णतः निष्कासित नहीं किया जा सकता। इस शोधपत्र में हम संस्कृत भाषा की विभिन्न विधाओं में स्मरण के महत्त्व को जानेंगे।

Authors and Affiliations

डॉ. सुनील कुमार शर्मा
सहायकाचार्य (शिक्षापीठ), श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (केन्द्रीय विश्वविद्यालय), नई दिल्ली।

संस्कृत, भाषा, स्मरण, अध्ययन, शिक्षण, विधा।

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  4. शर्मा, रीटा, जैन, अमिता (2005), संस्कृत शिक्षण, आविष्कार पब्लिशर्स, डिस्ट्रीब्यूटर्स, जयपुर।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 143-147
Manuscript Number : GISRRJ214571
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. सुनील कुमार शर्मा, "संस्कृत भाषा में स्मरण का महत्त्व ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 5, pp.143-147, September-October.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214571

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