भारतीय संस्कृति में नारी (कालिदास के परिप्रेक्ष्य में)

Authors(1) :-डाॅ0 अंजलि उपाध्याय

प्राचीन भारतीय समाज में नारी विषयक दृष्टिकोण उदार एवं विशाल था। वैदिक आर्यों की दृष्टि में नारी धर्म एवं अर्थ की प्रदात्री, वैभव और सांख्य की जननी, गृहलक्ष्मी रूपा और सर्वपूज्या समझी जाती थी। मनु भी इसी सिद्धान्त में विश्वास करते हैं कि जहाँ नारियों का आदर एवं सम्मान होता है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ उनका अपमान एवं अनादर होता है वहाँ सभी क्रियाएँ निष्फल सिद्ध होती है। शत्पथ ब्राह्मण में कहा गया है कि स्त्री पुरुष की आत्म का आधा भाग है। महाभारत में भी नारी के माहात्म्य के विषय में लिखा गया है कि भार्या पुरुष का आधा भाग है। देश के महान समाजसुधारक लाला जाजपतराय ने ठीक ही कहा है कि स्त्रियों का प्रश्न पुरुषों का प्रश्न है, चाहे भूतकाल हो, चाहे भविष्य, पुरुषों की उन्नति बहुत कुछ स्त्रियों की उन्नति पर निर्भर है। हिन्दू-संस्कृति में नारी के महनीय स्थान को परखने के लिए अपनी संस्कृति के स्वरूप को हमें पहचानना होगा। नारी त्याग और तपस्या की जाज्वल्यमान विभूति है। महाकवि कालिदास आर्य-संस्कृति के प्रतिनिधि कवि थे। उनकी कृतियों में हमें कन्या रूप में नारी का चित्रण उपलब्ध होता है। उन्होंने आर्य कन्या के आदर्श को ‘पार्वती’ के रूप में अभिव्यक्त किया है। यह सार्वभौमिक सत्य है कि नर और नारी एक दूसरे के पूरक हैं। समाज रचना के लिए नर और नारी स्तम्भ स्वरूप है। अतः दोनों को पारस्परिक सामंजस्य एवं सहयोग से कार्य करना चाहिए और एक दूसरे के प्रति उदार एवं सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रखना चाहिए। नारी पर पुरुष की प्रभुता अनाधिकार चेष्टा है। पुरुष द्वारा नारी का अनादर एवं अपमान उसके लिए सुखद न होकर दुःखद ही है। इससे दाम्पत्य एवं गृहस्थ जीवन अशान्ति एवं कलह का आलय बन जाता है जो अन्त में समाज के लिए घातक तत्त्व सिद्ध होता है। नारी का पतन, समाज का पतन है और नारी का उत्कर्ष समाज का उत्कर्ष है। अतः नारी को समाज की प्रगति का मूल मानकर उसका सर्वथा आदर करना चाहिए। यही समाज व उसके कर्णधारों के लिए सन्देश है।

Authors and Affiliations

डाॅ0 अंजलि उपाध्याय
पी-एच0डी0 (संस्कृत)

भारतीय संस्कृति, हिन्दू, कालिदास, नारी, महत्त्व।

  1. नाट्यशासत्र, 20-29
  2. मनुस्मृति, 3.56
  3. शतपथ ब्राह्मण-2, 1-10
  4. महाभारत,आदि पर्व, 74-41
  5. हिन्दू परिवार-मीमांसा की भूमिका, पृ0 25
  6. ईशा वास्पोपनिषद्,
  7. कुमार सम्भव,
  8. वा0रा0सु0 5/26/10
  9. स्वप्नवासव दत्तम, 1.13
  10. अभिज्ञान शाकुन्तलम्-अंक-4
  11. अभिज्ञान शाकुन्तलम्-24
  12. विक्रमोर्वशीयम्-अंक-5
  13. मध्यम व्यायोग।

Publication Details

Published in : Volume 4 | Issue 5 | September-October 2021
Date of Publication : 2021-09-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 200-207
Manuscript Number : GISRRJ214578
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ0 अंजलि उपाध्याय, "भारतीय संस्कृति में नारी (कालिदास के परिप्रेक्ष्य में) ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 4, Issue 5, pp.200-207, September-October.2021
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ214578

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