Manuscript Number : GISRRJ214610
कठोपनिषद् व मुण्डकोपनिषद् में वैराग्य की विवेचना
Authors(1) :-डॉ. सुमन संसार में प्रतिदिन कुछ न कुछ घटित होता रहता है। इन घटनाओं को सामान्य व्यक्ति देखता है, सुनता है और जानता भी है, परन्तु इन घटित घटनाओं से कोई सीख नहीं लेता है। किन्तु कुछ व्यक्तित्व ऐसे भी देखे, सुने व जाने जाते हैं, जो बहुत छोटी-छोटी घटनाओं से बहुत बड़े-बड़े निर्णय लेते हैं। भारतवर्ष में ऐसे महान् व श्रेष्ठ व्यक्तियों की कमी नहीं है, जिन्होंने समाज में होने वाली घटनाओं का विश्लेषण कर बहुत बड़े-बड़े ऐश्वर्यों, सुखों, साधनों व सुविधाओं को तिनके की भाँति ठुकरा कर बहुत कठिन राह को चुना है और अन्ततोगत्वा परमधाम मोक्ष को प्राप्त हो गए हैं। समाज में कुछ व्यक्तित्त्व ऐसे देखे जाते हैं, जो सामान्य लोगों से हटकर या भिन्न अथवा अलग सोचते हैं, अलग जीवन जीते हैं तथा अलग रास्ता अपनाते हैं। वैसे सामान्यतः व्यक्ति अपने व अपने परिवार व अपने रिश्तेदारों के सुख-सुविधाओं के बारे में सोचते हैं परन्तु एक वैराग्यभाव से परिपूर्ण व्यक्ति ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ अर्थात् सारी धरती मेरा परिवार है अतः वह सारे संसार के सुख-सुविधाओं के बारे में सोचता है। ऐसे ही एक सामान्य व्यक्ति सुबह से शाम तक धन कमाने व भरण-पोषण तथा सांसारिक भोगों को भोगने में ही अपना पूरा जीवन बिता देता है परन्तु संसार से विमुख होकर त्याग के रास्ते पर चलने वाला एक विरक्त संन्यासी जीवनभर संसार का उपकार करता हुआ परमपिता परमेश्वर की उपासना करता हुआ आनन्दमय जीवन बिताता है। इसी प्रकार सामान्य जन प्रेयमार्ग अर्थात् भोग-विलास का रास्त अपनाते हैं, जो कि वर्त्तमान में सुखदायी प्रतीत होता है और वस्तुतः परिणाम में दुःखदायी होता है- ‘विषयेन्द्रियसंयोगाद्यत्तदग्रेऽमृतोपमम्। परिणामे विषमिव तत्सुखं राजसं स्मृतम्॥’1 जब कि एक मुमुक्षु व्यक्ति तलवार की धार के समान अत्यन्त कठिन श्रेयमार्ग को अपनाता है, क्योंकि वह जानता है कि यह मार्ग वर्त्तमान में कठिन प्रतीत होने वाला व वस्तुतः परिणाम में सुख देने वाला है। अतः संसार में दो ही रास्ते चलने के लिए बताए गए हैं- श्रेयमार्ग व प्रेयमार्ग।
डॉ. सुमन श्रेय, प्रेय, विद्या, अविद्या, ईश्वर-प्रणिधान, अपरिग्रह, आत्मा, ईश्वर, कोश। Publication Details Published in : Volume 4 | Issue 6 | November-December 2021 Article Preview
प्रोफेसर पतंजलि आयुर्वेद महाविद्यालय, हरिद्वार
Date of Publication : 2021-12-30
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Page(s) : 57-62
Manuscript Number : GISRRJ214610
Publisher : Technoscience Academy
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