Manuscript Number : GISRRJ225340
उपनिषदों की समसामयिक उपादेयता
Authors(1) :-डॉ. सुजीत कुमार संस्कृत साहित्य की परम्परा में उपनिषदों का अपना एक पृथक् महत्त्व है। उपनिषदों की वर्तमान परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिकता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण और समकालीन विषय है । उपनिषद् भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता के मूल स्रोतों में से एक हैं, जो मानव जीवन के गहरे प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करते हैं। वे अद्वैत,आत्मा, ब्रह्म, मोक्ष और कर्म जैसे गूढ़ सिद्धान्तों पर आधारित है। यह ज्ञान आज भी मानव जीवन के उद्देश्य और प्रकृति को समझने में मदद करता है। लोग आज भी आत्मा की खोज और अपने अस्तित्त्व का मर्म समझने के लिये उपनिषदों का अध्ययन करते हैं। आधुनिक युग में लोग व्यक्तिगत विकास और मानसिक शान्ति के लिये उपनिषदों में बताये गये ध्यान और योग मार्ग को अपनाते हैं। उपनिषदों के सिद्धान्त जैसे सत्य, अहिंसा और करुणा आज भी नैतिकता और मानवता के मूलभूत स्तम्भ माने जाते हैं। ये सिद्धान्त न केवल व्यक्तिगत जीवन में बल्कि समाज और राष्ट्र के बीच आपसी सद्भाव और शान्ति स्थापित करने में सहायक है। उपनिषदों में प्रकृति और ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए गहन विचार किया गया है। यह दृष्टिकोण आज के वैज्ञानिक अनुसन्धान से सम्बन्धित है। उपनिषद् का संदेश किसी एक धर्म, संस्कृति या जाति तक सीमित नहीं है। इनका संदेश सार्वभौमिक है और हर समय समाज के लिए प्रासंगिक है। आधुनिक युग में जहां वैश्वीकरण और सांस्कृतिक विविधता है वहां भी उपनिषद् के सिद्धान्त प्रासंगिक है। उपनिषदों में मनुष्य की गरिमा और समानता का विचार प्रस्तुत किया गया है। आज के समाज में जाति, वर्ग, और लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव को दूर करने में उपनिषदों के सिद्धान्त महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। इनकी शिक्षाएं समयातीत हैं और आज के जटिल जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करती हैं।
डॉ. सुजीत कुमार सगुण-निर्गुण, नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, धार्मिक, वसुधैव कुटुम्बकम्, वैश्वीकरण, विश्वबन्धुत्व, दम्यत्, दत्त, दयध्वम्, श्रेयश्च, ब्रह्माण्ड, सांस्कृतिक, प्रेयश्च, करुणा, मानवता, अहिंसा, औपाधिक, समयातीत, राष्ट्रियता, अखण्डता, सौहार्द, सांसारिक, मोक्ष, सत्य, धर्म, प्रकृति, वैज्ञानिक, विविधता, अनुसन्धान, प्रासंगिकता , परमतत्त्व, अद्वैततत्त्व, राजनीतिक, सर्जक, पालक, संहारक, अक्षर, अजर, अमर, एकेश्वरवाद, प्रतीकात्मक, विवेक - अविवेक, ग्राह्य, त्याज्य, सहिष्णुता । Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 2 | March-April 2022 Article Preview
असि. प्रोफसर, संस्कृत -विभाग, कर्मक्षेत्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय, इटावा, उत्तर प्रदेश, भारत।
Date of Publication : 2022-04-30
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Page(s) : 153-158
Manuscript Number : GISRRJ225340
Publisher : Technoscience Academy
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