Manuscript Number : GISRRJ225613
उपनिषदों में चेतना विषयक चिन्तन
Authors(2) :-श्रीमति चारु दीक्षित, डॉ. साधना दौनेरिया
मानव जीवन का लक्ष्य भौतिक भोगोपभोग की उपलब्धि नहीं है वरन् अपनी अन्तरात्मा रूपी चेतना मे उन भौतिक बंधनों से मुक्त होने एवं ब्रह्माण्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले इस शरीर मे निहित असीमित आध्यात्मिक रहस्यों का उद्घाटन कर अपने सत्यए शिव और सुन्दर स्वरूप का आभास करना है। प्रत्येक मनुष्य मे विवेक चेतना अंतर्निहित होती है। परन्तु जब तक इसका पूर्णतः जागरण नहीं होताए तब तक मनुष्य अपने चेतन मन के द्वारा केवल बुद्धि और तर्क के आधार पर ही अपने मन की वृत्तियों के अनुरूप व्यवहार करता है व इस वृत्तिरूपेण व्यवहार को उचित ठहराने के लिए कोई न कोई तर्क ढूंढ ही लेता है। इस तरह तो मानवए वनस्पति व पशुओं के समकक्ष ही खड़ा दिखता है। इसलिए अपनी मौलिक मनोवृत्तियों के प्रेरक बलों पर प्रभुत्व प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि मनुष्य अपनी सुषुप्त विवेक चेतना को जागृत करें व विकसित करें।
श्रीमति चारु दीक्षित रू चेतनाए व्यष्टि चेतनाए समष्टि चेतनाए ऋत् ए पंचकोश। Publication Details Published in : Volume 5 | Issue 6 | November-December 2022 Article Preview
शोधार्थी, योग विभाग, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल म.प्र.
डॉ. साधना दौनेरिया
विभागाध्यक्ष, योग विभाग, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल म.प्र.
Date of Publication : 2022-12-20
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 77-82
Manuscript Number : GISRRJ225613
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225613