महाकवि कालिदास के ग्रन्थों में पर्यावरण: एक अध्याय

Authors(1) :-ऋतु वर्मा

कालिदास ने अपने सभी नाटकों में प्रकृति के प्रति अपना आकर्षण प्रकट किया है। इनमें शाकुन्तल तो विशुद्ध प्रकृति के परिवेश में ही विकसित है पंचम और षष्ठ अंको में ही केवल राज प्रसाद की पृष्ठ-भूमि है अन्यथा सभी अंक प्राकृतिक वातावरण के ही है इन सबमें कालिदास ने प्रकृति की भूमिका मुक्त रूप से अभिव्यक्त की है।

Authors and Affiliations

ऋतु वर्मा
(एम ए, नेट संस्कृत), शोध छात्रा, संस्कृत विभाग, शिब्ली नेशनल पी0 जी0 कॉलेज आजमगढ़, उत्तर प्रदेश।

कालिदास, पर्यावरण, संस्कृत, प्रकृति, ग्रन्थ।

  1. पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी - महेश कुमार वर्णवाल
  2. संस्कृत साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास - डाॅ कपिलदेव द्विवेदी आचार्य शान्ति-निकेतन, ज्ञानपुर (भदोही) उ0 प्र0,
  3. नाट्यशास्त्र-भरत, कृष्णदास अकादमी वाराणसी
  4. कुमारसम्भवमम् - डाॅ0 राकेश शास्त्री चैखम्भा ओरियन्टालिया
  5. रघुवंशम् - डाॅ0 श्रीकृष्ण मणि त्रिपाठी
  6. रघुवंशप्रकाश - डाॅ0 अमलदार नीहार
  7. ऋतुसंहारकाव्यम् - आचार्य बाबू लाल शुक्ल शास्त्रिणा कालिदास अकादमी उज्जैन
  8. मेघदूतम् - डाॅ0 रमाशंकर त्रिपाठी विश्वविद्यालय प्रकाशन, वाराणसी
  9. मेघदूतम् - वासुदेवशरण अग्रवाल
  10. अभिज्ञानशाकुन्तलम् - डाॅ0 कपिल देव द्विवेदी वाराणसी
  11. अभिज्ञानशाकुन्तलम् - डाॅ0 वासुदेव कृष्ण चतुर्वेदी महालक्ष्मी प्रकाशन, आगरा -2

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 5 | September-October 2022
Date of Publication : 2022-10-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 108-114
Manuscript Number : GISRRJ225620
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

ऋतु वर्मा , "महाकवि कालिदास के ग्रन्थों में पर्यावरण: एक अध्याय ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 5, pp.108-114, September-October.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225620

Article Preview