नाटक में रसाभिव्यक्तिः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors(1) :-ऋतु वर्मा

सर्वप्रथम भरत मुनि ने अपने आकर-ग्रन्थ नाट्य-शास्त्र में 36 अध्यायों में नाटय-शास्त्र का प्रमाणिक और विस्तृत विवेचन प्रस्तुत किया है। नाटय-शास्त्र का महत्व बताते हुए उनका कथन है कि विश्व का ऐसा कोई ज्ञान, शिल्प, विद्या, कला, योग (प्रयोग) और कर्म नहीं है, जो इसमें न आ जाता हो। न तज्ज्ञानं न तच्छिल्यं न सा विद्या न सा कला। नासौ योगो न तत्कर्म नाटयेऽस्मिन् यत्र दृश्यते।। (ना0-1-116) संस्कृत के काव्यशास्त्रियों ने काव्य को दो भागों में विभक्त किया हैः- (1) दृश्य, (2) श्रव्य। दृश्यश्रव्यत्वभेदेन पुनः काव्यं द्विधा मतम् दृश्यं तत्राभिनेयं तद्रूपारोपात्तु रूपकम्।। (सा0 द0 6-1)

Authors and Affiliations

ऋतु वर्मा
(एम ए, नेट संस्कृत) शोध छात्रा, संस्कृत विभाग, शिब्ली नेशनल पी0 जी0 कॉलेज, आजमगढ़।

नाटक, रसाभिव्यक्ति, ज्ञान, शिल्प, विद्या,कला, योग, कर्म, पारिभाषिक शब्द।

  1. संस्कृत साहित्य का समीक्षात्मक इतिहास डाॅ कपिलदवे द्विवेदी
  2. नाट्यशास्त्र-भरतमुनि चैखम्भा प्रकाशन वाराणसी
  3. नाट्यशास्त्रीय परम्परा तथा दसरूपक ज्ञानदेवी श्रीवास्तव, शिव पब्लिशर्स इलाहाबाद
  4. साहित्यदर्पण- विश्वनाथ, मोतीलाल बनारसीदास दिल्ली
  5. धनंजय कृत दसरूपक साहित्य भण्डार मेरठ

Publication Details

Published in : Volume 5 | Issue 6 | November-December 2022
Date of Publication : 2022-12-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 145-153
Manuscript Number : GISRRJ225626
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

ऋतु वर्मा, "नाटक में रसाभिव्यक्तिः एक विश्लेषणात्मक अध्ययन ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 5, Issue 6, pp.145-153, November-December.2022
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ225626

Article Preview