रामायण एवं महाभारत में स्त्री अस्तित्व का समीक्षात्मक अध्ययन

Authors(1) :-अखिलानन्द उपाध्याय

वैदिक काल, रामायण और महाभारत काल की मीमांसा की जाए तो यह कहा जा सकता है कि स्त्री को गरिमामयी और गौरवशाली अस्तित्व हर युग में प्राप्त था। कन्याएं पिता के लिए लक्ष्मी होती थी और उन्हें पुरूषों की तुल्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त था। वैदिक काल में भूरिश: ऋषिकाओं का वर्णन स्पष्ट प्रमाण है इसका। रामायण और महाभारत काल की स्त्रियों पर विचार किया जाए तो कुछ प्रसंगों को छोड़कर यह कहा जा सकता है कि इस काल में स्त्री और पुरुष में संभवत भेद कहीं भी परिलक्षित नहीं होता है ।इस काल में स्त्रियों को अनेक प्रकार की शिक्षाएं प्रदान की जाती थी। यहां तक कि उन्हें युद्ध में भी भाग लेने का अधिकार प्राप्त था। साथ ही रामायण और महाभारत हमें यह वैश्विक संदेश है देते हैं कि रामायण और महाभारत में युद्ध केवल और केवल स्त्री सम्मान में लड़ा गया। भगवान श्री राम द्वारा राम सेतु का निर्माण केवल अपनी अर्धांगिनी के लिए नहीं अपितु स्त्री अस्मिता के लिए किया गया था।

Authors and Affiliations

अखिलानन्द उपाध्याय
शोध छात्र, डॉ राम मनोहर लोहिया राजकीय महाविद्यालय मुफ्तीगंज, जौनपुर, विश्वविद्यालय-वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर, उत्तर प्रदेश।

वैदिक काल , रामायण, महाभारत, स्त्री, शिक्षा, अधिकार।

  • यत्र नार्यस्तु पुज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता: - मनुस्मृति,
  • मातृवत् परदारेषु – हितोपदेश
  • जायेदस्तम् - ऋग्वेद 3.53.4
  • 4- सम्राज्ञी श्वसुरे भव, सम्राज्ञी श्वश्रवां भव…. देवृषु- ऋग्वेद 10.85.46
  • स्त्रियो हि दास आयुधानि चक्रे- ऋग्वेद 5.30.9
  • स होत्रं स्म पुरा नारी समनं…. गच्छति-  अथर्ववेद 20.126.10
  • गतिरेका पतिर्नार्या द्वितीया… .. नैव विद्यते - अयोध्या काण्ड, सर्ग 61
  • स्नेहो मयि निपातित: - अयोध्या काण्ड, नवम सर्ग
  • अपवाह्य त्वया देवी संग्रामान्नष्टयेतन: … . पतिस्तेरक्षिस्त्वया -  अयोध्या काण्ड, नवम सर्ग
  • दु:शील: कामवृत्तो वा धनैर्वा परिवर्जित: - सुंदरकाण्ड, सर्ग 14
  • दारा रक्ष्या विमर्शनात् - अरण्य काण्ड, सर्ग 50
  • न गृहाणि न वस्त्राणि… . वृत्तमावरणं स्त्रिया: - रामायण, 6.114.27
  • अर्धं भार्या मनुष्यस्य… . भार्या मूलं तरिष्यत: - आदिपर्व, 74.41
  • इयं हि न प्रियं भार्या… . ज्येष्ठेव च स्वसा - महाभारत, विराट पर्व
  • यथैवात्मा तथा पुत्र: पुत्रेण दुहिता समा - महाभारत, अनुशासन पर्व, 45.11

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 2 | March-April 2023
Date of Publication : 2023-04-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 41-47
Manuscript Number : GISRRJ23626
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

अखिलानन्द उपाध्याय, "रामायण एवं महाभारत में स्त्री अस्तित्व का समीक्षात्मक अध्ययन", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 2, pp.41-47, March-April.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23626

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