उपनिषदों में सत्य की अवधारणा

Authors(1) :-राघवेन्द्र पाण्डेय

उपनिषद् में कहा गया है कि इन्द्रियों को अन्तर्मुखी कर ब्रह्म को पाया जा सकता है। वह सत्य और असत्य अर्थात् कारण और कार्यरूप सत्य है। उपनिषदों में उपलब्ध सत्य के स्वरूप पर विस्तृत विवेचन किया गया, जिसकी महŸाा सर्वसिद्ध है।

Authors and Affiliations

राघवेन्द्र पाण्डेय
शोधच्छात्र,संस्कृत विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश।

उपनिषद्, सत्य, असत्य, कारण, कार्यरूप, वेद, वेदान्त।

  1. सत्येनोŸाभिता भूमिः सूर्येणोŸाभिता द्यौः। ऋ.-85
  2. सत्यं बृहदृतमुग्र दीक्षा तपो ब्रह्म यज्ञः पृथिवीं धारयन्ति। अथर्व.-12/1-1
  3. व्रतेन दीक्षामाप्नोति दीक्षयाप्नोति दक्षिणाम्।
  4. दक्षिणा श्रद्धामाप्नोति श्रद्धया सत्यमाप्यते।। यजु. 30
  5. यो वै स धर्मः सत्यं वै तत् तस्मात् सत्यं वदन्माहुधर्मः वा वदन्तं सत्यं वदतीति। बृहदा. 4.14
  6. बृहदा. 5.1, छान्दो. 8.3.5
  7. ओ3म् शन्नो मित्रः ...........वदिष्यामि। ऋतंवदिष्यामि सत्यं वदिष्यामि। तन्मामवतु........... पञ्च च। तैŸिा. 1.1
  8. सत्यात्मप्राणारामं मन आनन्दम्। शान्ति ......। .........योग्योपास्व। तैति. 1.6.2
  9. ऋतस्य स्वाध्याय प्रवचने च सत्यञ्च स्वाध्याय प्रवचने .......... सत्यमिति सत्यवचा राथीतरः ....... प्रवचने च षट् च। तैŸिा.1-1-1-9-10
  10. वेदमनुच्या .............सत्यंवद। धर्मंचर। मातृदेवो भव। पितृदेवो भव। आचार्य देवोभव। अतिथिदेवोभव। ............हिृया देयम्। सप्त च। तैति. 1/1/1-4
  11. सत्यं ज्ञानमनन्तं ब्रह्म। यो वेद निहितं गुहायां .......... विपश्चिदेति। तैŸिा. ब्रह्मानन्द वल्ली
  12. तस्य श्रद्धैव शिरः.... भवति। तैŸिा. ब्रह्मानन्दवल्ली-4.1
  13. तदनुप्रविश्य ........भवति। ब्रह्मानन्दवल्ली-1.6
  14. तेषामेवैष ब्रह्मलोको येषां तपो ब्रह्मचर्यं येषु सत्यं प्रतिष्ठितम्। प्रश्नो. 15
  15. बृहदा. 14.4
  16. तस्य ह वा एतस्य ब्रह्मणो नाम सत्यमिति। - छा. 3.4
  17. छा. 11.2
  18. इह चेदवेदीदथ सत्यमस्ति न चेदिहावेदीन्महती विनष्टि भवति। केनो. 5
  19. तिलेषु तैलं दधिनीव ........ तपसा योऽनुपश्यति। श्वेता. 15
  20. छा.उ. 4.5
  21. छा.उ.- 7-16.1-7.17.1
  22. अथयŸापो दानमार्जवमहिंसा सत्यवचनमिति ता अस्य दक्षिणा। छा.उ.-19.4
  23. इदं सत्यं ........... ब्रह्मेदं सर्वम्। बृहदा.- 5.12
  24. रुपाण्येव ...... सत्यमिति होवाच। बृहदा. 9.12
  25. कस्मिन्नुदीक्षा ...... याज्ञवल्क्य। बृहदा. 9.23

Publication Details

Published in : Volume 6 | Issue 3 | May-June 2023
Date of Publication : 2023-06-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 08-13
Manuscript Number : GISRRJ23632
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

राघवेन्द्र पाण्डेय, "उपनिषदों में सत्य की अवधारणा", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 6, Issue 3, pp.08-13, May-June.2023
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ23632

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