भारत में जनजातियों के समग्र विकास हेतु रणनीतियां

Authors(1) :-डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी

वास्तव में जनजातीय समुदाय का समूचा जीवन ही जल, जंगल, जमीन से जुड़ा हुआ है। भारत सरकार के योजनाबद्ध प्रयासों ने देश में अनुसूचित जनजातियों के नागरिकों के समग्र विकास को गति दी है। इस र.ानीति ने अनुसूचित जनजातियों की समस्याओं की पहचान करने के अलावा विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक पहलकदमियों के जरिए इनके निवारण का रास्ता भी तैयार किया है। सरकार ने इन सामाजिक और आर्थिक पहलकदमियों को अपनी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से लागू किया है। लेकिन साथ ही, खासतौर से अनुसूचित जनजातियों के लिए उनकी भागीदारी पर आधारित एक ऐसी स्वशासन प्र.ााली को लोकप्रिय बनाने की सख्त जरूरत महसूस की गई है जिसमें यह समुदाय अपने संसाधनों का प्रबंधन खुद कर सके। इस तरह की भागीदारी पर आधारित और जनजाति प्रबंधित विकास प्रक्रिया से अनुसूचित जनजातियों का सशक्तीकरण संभव होगा। शैक्षिक अवसंरचना में इस बात पर गौर किया जाना चाहिए कि परिवर्तनशील और प्रतिस्पर्धी दुनिया में किस तरह आधुनिक और आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन के जरिए अनुसूचित जनजातियों के युवाओं की दक्षता और ज्ञान को बढ़ाया जाए।

Authors and Affiliations

डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी
प्राध्यापक, समाजशाó, शा0 ठाकुर रणमत सिंह, महाविद्यालय, रीवा, मध्य प्रदेश, भारत।

शैक्षिक अवसंरचना, उन्नयन, सशक्तीकरण स्वशासन, समग्र विकास।

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Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 1 | January-February 2024
Date of Publication : 2024-01-15
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 25-36
Manuscript Number : GISRRJ24715
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डाॅ. शाहेदा सिद्दीकी, "भारत में जनजातियों के समग्र विकास हेतु रणनीतियां ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 1, pp.25-36, January-February.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24715

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