आरण्यकों का प्रतिपाद्य विषय

Authors(1) :-गौतम आर्य

आरण्यकों के प्रतिपाद्य विषय सम्बन्धित स्पष्टता पूरी हुई मानी जा सकती है । जिससे ज्ञात होता है कि अन्य विषयों के साथ ही प्राणविद्या व प्रतीकोपासना आरण्यकग्रन्थों का मुख्य प्रतिपाद्य रहा है । प्राण की इसी सर्वव्यापकता तथा अध्यात्मिकता का विकास आगे चलकर औपनिषदिक ब्रह्मचिन्तन

Authors and Affiliations

गौतम आर्य
शोधार्थी, शासकीय संजय गांधी स्मृति पी. जी. महाविद्यालय गंजबासौदा

आरण्यक, सर्वव्यापकता, प्रतीकोपासना, अध्यात्मिकता, औपनिषदिक, ब्रह्मचिन्तन।

  1. सायण, ऐतरेय ब्राह्मण, भूमिका
  2. सायण, ऐतरेय आरण्यक, भूमिका
  3. ऐतरेय आरण्यक 2.3.8.5.
  4. ऐतरेय आरण्यक
  5. ऐतरेय आरण्यक
  6. मैत्रायणी आरण्यक 6/9
  7. तैत्तिरीय ब्राह्मण 3/10/9-12.
  8. तैत्तिरीय आरण्यक 2/1/1
  9. तैत्तिरीय आरण्यक 2/7/1
  10. बृहदारण्यक 4/4/22.
  11. तैत्तिरीय आरण्यक 2/20
  12. शांखायन आरण्यक 6/1
  13. मैत्रायणी आरण्यक 1/4

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 2 | March-April 2024
Date of Publication : 2024-04-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 43-46
Manuscript Number : GISRRJ24729
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

गौतम आर्य, "आरण्यकों का प्रतिपाद्य विषय ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 2, pp.43-46, March-April.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24729

Article Preview