भारतीयसमाजपरिप्रेक्ष्ये सामाजिकपरिपक्वता

Authors(1) :-नीलमपाल

प्राचीनकाले भारते मानवलक्ष्याणां स्वाभाविकतया प्राप्त्यर्थं भारतीयऋषिभिः चत्वारि आश्रमाणि (ब्रह्माचार्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वनप्रस्थ आश्रम, संन्यास आश्रम), चत्वारि पुरुषार्थाः (धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष) चत्वारि Proper management इति सुझावः दत्तः वर्णानाम् (ब्राह्मणक्षत्रियवैश्यशुद्धा) इत्यादिकं कृतम्। सामाजिकपरिपक्वता समाजेन निर्धारितनियमानुसारं व्यवहारः इति अर्थः । सामाजिकप्रत्ययानुरूपं यः वर्तते सः सामाजिकपरिपक्वः इति उच्यते ।

Authors and Affiliations

नीलमपाल
शोधकर्त्री, शिक्षाशास्त्रविभागः, श्रीलालबहादुरशास्त्रीराष्ट्रीयसंस्कृतविश्वविद्यालयः, नवदेहली।

भारतीयसमाजः, सामाजिकपरिपक्वता।

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Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 3 | May-June 2024
Date of Publication : 2024-05-30
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 23-27
Manuscript Number : GISRRJ24734
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

नीलमपाल, "भारतीयसमाजपरिप्रेक्ष्ये सामाजिकपरिपक्वता ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 3, pp.23-27, May-June.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24734

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