Manuscript Number : GISRRJ24739
समकालीन कथा-साहित्य और हिंदी सिनेमा का बदलता भाषायी परिदृश्य
Authors(1) :-सुंदरम आनन्द
हिन्दी सिनेमा ने अपने बॉलीवुड में हुए अपने कायान्तरण को पूरी तरह आत्मसात कर लिया है। जिसका असर फिल्मों की कथा-वस्तु, उनके प्रस्तुतिकरण लक्षित दर्शक-वर्गों, व्यावसायिक रूझानों, सामाजिक सरोकारों के साथ-साथ भाषायी अनुप्रयोगों पर भी पड़ा है। डिजिटल क्रांति, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के विकास और विस्तार ने भी इसे व्यापक रूप से प्रभावित किया है। जिसकी परिणति 'क्रॉस ओवर' सिनेमा से गुज़रते हुए ‘पैन इंडियन सिनेमा’ जैसी परिघटनाओं में देखा जा सकता है। क्षेत्रीय भाषा या क्षेत्रीय भाषाओं के पुट के साथ बनी फिल्में आज नए ‘राष्ट्रीय सिनेमा’ के रूप में देश की सीमाओं से परे जाकर पारदेशीय प्रचार, प्रभाव और प्रतिष्ठा पाने में सफल हो रही हैं। जिससे हिंदो भाषा का कल्याण तो नहीं हो रहा पर बाजार के अनुकूल भाषायी विरोधाभासों से मुक्त एक बड़ा उपभोक्ता वर्ग अवश्य सृजित हो रहा है।
सुंदरम आनन्द
समकालीन कथा-साहित्य, हिंदी सिनेमा, सिनेमाई भाषा, राष्ट्रीय सिनेमा, क्रॉस ओवर सिनेमा, पैन इंडियन सिनेमा, पारसी थियेटर, मुंबई नोआर। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 3 | May-June 2024 Article Preview
शोधार्थी, हिंदी विभाग, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, नई दिल्ली।
Date of Publication : 2024-06-22
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 52-56
Manuscript Number : GISRRJ24739
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24739