Manuscript Number : GISRRJ24749
धर्मपरक जीवन मूल्य : किरातार्जुनीयम् के परिप्रेक्ष्य में
Authors(1) :-राम अचल यादव कर्तव्य का निर्धारण साधारणतः सम्भव नहीं है। जीवन सागर के समान विशद एवं गहन है। जीवन स्थितियां अनन्त होती हैं। तत्काल कर्त्तव्य का निश्चय करना विवेकशील व्यक्तियों के लिए भी दुष्कर होता है। श्रीमद्भगवद्रीता में कहा गया है-“किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।” किरातार्जुनीयम् में वार्णित् मूल्य मानव समाज के लिए अनुकूल एवं ग्राह्य है।
राम अचल यादव किरातार्जुनीयम्, मूल्य, मानव समाज, कर्तव्य, जीवन ,धर्म। Publication Details Published in : Volume 7 | Issue 4 | July-August 2024 Article Preview
शोधच्छात्र, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, रॉची विश्वविद्यालय, रॉची।
Date of Publication : 2024-08-20
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 50-57
Manuscript Number : GISRRJ24749
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24749