धर्मपरक जीवन मूल्य : किरातार्जुनीयम् के परिप्रेक्ष्य में

Authors(1) :-राम अचल यादव

कर्तव्य का निर्धारण साधारणतः सम्भव नहीं है। जीवन सागर के समान विशद एवं गहन है। जीवन स्थितियां अनन्त होती हैं। तत्काल कर्त्तव्य का निश्चय करना विवेकशील व्यक्तियों के लिए भी दुष्कर होता है। श्रीमद्भगवद्रीता में कहा गया है-“किं कर्म किमकर्मेति कवयोऽप्यत्र मोहिताः।” किरातार्जुनीयम् में वार्णित् मूल्य मानव समाज के लिए अनुकूल एवं ग्राह्य है।

Authors and Affiliations

राम अचल यादव
शोधच्छात्र, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, रॉची विश्वविद्यालय, रॉची।

किरातार्जुनीयम्, मूल्य, मानव समाज, कर्तव्य, जीवन ,धर्म।

  1. युगपथ, पृ. 55.
  2. हिन्दी विश्व कोश सं. नगेन्द्र नाथ वसु, पृ. 238-39.
  3. मनुस्मृति, 6/92.
  4. किरातार्जुनीयम्, 2/33.
  5. श्रीमद्भवत्‌गीता, 4/40.
  6. नीतिशतक,
  7. किरातार्जुनीयम्, 5/49.
  8. किरातार्जुनीयम्, 6/19
  9. किरातार्जुनीयम्, 6/28.
  10. श्रीमद्भगवद्गीता, 2/56.
  11. कुमारसंभवम्, 1/59.
  12. श्रीमद्भागवत्‌, 8/6/24  
  13. नीतिशतक,
  14. नीतिशतक,   
  15. किरातार्जुनीयम्, 12/3.
  16. किरातार्जुनीयम्, 2/34.
  17. महा. आदिपर्व, 87/10.
  18. श्रीमद्भगवद्‌गीता, 3/21
  19. किरातार्जुनीयम्, 1/8
  20. रामायण, 6/16/15.
  21. हितोपदेश,
  22. कबीरग्रन्थावली, साधको संग (26)
  23. नीतिशतक,
  24. किरातार्जुनीयम्, 2/43.
  25. हर्षचरितम्, पृ. 13.
  26. वाल्मीकि रामायण, 1/33/89.
  27. किरातार्जुनीयम्, 7/13.
  28. किरातार्जुनीयम्, 2/29.
  29. किरातार्जुनीयम्, 2/30
  30. श्रीमद्भगवत्‌गीता, 4/16

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 4 | July-August 2024
Date of Publication : 2024-08-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 50-57
Manuscript Number : GISRRJ24749
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

राम अचल यादव, "धर्मपरक जीवन मूल्य : किरातार्जुनीयम् के परिप्रेक्ष्य में ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 4, pp.50-57, July-August.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ24749

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