आरण्यककालीन समाज के मूल्यों का विमर्श

Authors(2) :-डॉ. बालकृष्ण प्रजापति, गौतम आर्य

आरण्यक कालीन समाज में व्यक्ति के जीवन लक्ष्य, पुरुषार्थचिन्तन, पारिवारिकसम्बन्धों के विश्लेषण एवं उसके आवास, भोजन, वस्त्रादि से सम्बन्धित विवेचन से तत्कालीन सामाजिक परिवेश का ज्ञान प्राप्त होता है। उपर्युक्त विश्लेषण से ज्ञात होता है कि तत्कालीन समाजमें लोगों को अध्यात्म एवं पुरुषार्थ सिद्धि के इतर अन्य कृत्यों हेतु समय ही नहीं मिल पाता था। आरण्यककालीन समाज में व्यक्ति पुरुषार्थ करते हुएसाधारण जीवन जीने में विश्वास रखते थे ।

Authors and Affiliations

डॉ. बालकृष्ण प्रजापति
शोध-मार्गनिर्देशक, (प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष) संजय गाँधी स्मृति पी.जी.महाविद्यालय, गंजबासौदा, (मध्यप्रदेश)
गौतम आर्य
शोधच्छात्र, शासकीय हमीदिया कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, भोपाल, (मध्य प्रदेश)

आरण्यक, कालीन, समाज, जीवन लक्ष्य, पुरुषार्थचिन्तन।

  1. ऐतरेय आरण्यक, 2.6.1.
  2. शांखायन आरण्यक, 7.1.
  3. ऐतरेय आरण्यक, 2.3.6
  4. ऐतरेय आरण्यक, पञ्चमाध्याय, उपसंहार.
  5. शांखायन आरण्यक, 4.15.
  6. ऐतरेय आरण्यक, 2.5.1.
  7. ऐतरेय आरण्यक, 3.1.6.
  8. तैत्तिरीय आरण्यक, एकाग्निकाण्ड, 1.6.
  9. बृहदारण्यक, 5.50-80
  10. ऐतरेय ब्राह्मण, 12.11
  11. शतपथ ब्राह्मण, 5.4.4.1.
  12. बृहदारण्यक, 5.4.1.
  13. शांखायन आरण्यक, 2.15
  14. तैत्तिरीय आरण्यक, 6.1.
  15. ऋग्वेद, 1.25.13.
  16. अथर्ववेद, 14.1.8.

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 6 | November-December 2024
Date of Publication : 2024-12-20
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 79-84
Manuscript Number : GISRRJ247612
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डॉ. बालकृष्ण प्रजापति, गौतम आर्य , "आरण्यककालीन समाज के मूल्यों का विमर्श", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 6, pp.79-84, November-December.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ247612

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