Manuscript Number : GISRRJ25828
बुंदेलखंड क्षेत्र मे महिलाओं का सामाजिक-आर्थिक विकास
Authors(2) :-कार्तिकेय सिंह, प्रोफेसर (डॉ.) अश्वजीत चौधरी महिलाओं का सामाजिक-आर्थिकविकास उनके सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में समग्र प्रगति को दर्शाता है। किसी भी समाजमें महिलाओं की सामाजिक भागीदारी और साक्षरता को मापना, सामाजिक विकास का सर्वोत्तममापक माना जाता है। परंतु, गहराई से जड़ी हुई पितृसत्तात्मक व्यवस्था और महिलाओं कीद्वितीयक स्थिति उनके पिछड़ेपन का प्रमुख कारण है। इस अध्ययन में भारत की जनगणना 2001 और 2011, मध्यप्रदेश एवं उत्तर प्रदेश के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16, उत्तर प्रदेश एवं मध्य प्रदेश के सांख्यिकी सार 2022, मानव विकास रिपोर्ट, योजना आयोग और नीति आयोग जैसे विभिन्न स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों औरसाहित्य का उपयोग किया गया है। अध्ययन क्षेत्र में विभिन्न तत्वों की स्थिति को स्पष्टकरने के लिए वर्णनात्मक सांख्यिकीय विश्लेषण (Descriptive Statistical Analysis) अपनायागया है। महिलाओं के विकास का आकलन करने के लिए मानव विकास सूचकांक (HDI) का प्रयोगकिया गया है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर को सम्मिलित कर एक समग्र माप प्रदानकरता है। बुंदेलखंड क्षेत्र का क्षेत्रीय औसत राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम पायागया है। झाँसी का HDI सर्वाधिक (0.592) है, जबकि पन्ना जिले का सबसे कम (0.347) है।महिलाएं समाजिक व्यवस्था में पीछे रह गई हैं, जिसका कारण है— जागरूकता की कमी, शिक्षाकी कमी, व्यावसायिक ढांचे में कम भागीदारी, पारंपरिक सामाजिक मान्यताओं में जकड़े रहना, और कृषि कार्यों में ही सीमित रहना। ये सभी कारक महिलाओं को विकास की मुख्यधारा सेदूर रखते हैं।
कार्तिकेय सिंह मानव विकास, महिला, सामाजिक, आर्थिक, सामाजिक मान्यता, वर्णनात्मकसांख्यिकीय विश्लेषण। Publication Details Published in : Volume 8 | Issue 1 | January-February 2025 Article Preview
शोध छात्र पीएचडी , भूगोल विभाग, यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद
प्रोफेसर (डॉ.) अश्वजीत चौधरी
प्रोफेसर, भूगोल विभाग, यूनिवर्सिटी ऑफ इलाहाबाद
Date of Publication : 2025-02-05
License: This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 161-171
Manuscript Number : GISRRJ25828
Publisher : Technoscience Academy
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ25828