मूल्य शिक्षा एवं मूल्यपरक महाकाव्य रामायण

Authors(1) :-डा. आरती शर्मा

संस्कृत वाङ्मय में वेदों को सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोच्च माना गया है। ये मानव के लिए ज्ञाननिधि हैं। वेदों का ज्ञान विश्व संस्कृति की आधार शिला माना जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने वैदिक परम्परा से प्राप्त धर्म के स्वरूप पर काल का स्वर्णोदक चढ़ाते हुए उसे अत्यन्त भव्य रूप में मानव मात्र के लिए समर्पित किया है। मानव मन की तीन मूल वृत्तियाँ हैं- बुद्धिवृत्ति, भाववृत्ति एवं संकल्पवृत्ति। विज्ञान प्रथमवृत्ति की परितृप्ति का साधन है। काव्य का सम्बन्ध भाववृति में होता है और अन्य ज्ञान-विधायें संकल्पवृत्ति को तृप्त करती है। वाल्मीकि जैसे ऋषि एवं मनीषी महाकाव्य जीवन के मूलतत्त्व सत्यम्, शिवम् और सुन्दरम् के चित्रण से सम्पूर्ण मानव मन को परितृप्त करता है। अतः रामायण मूल्यपरक महाकाव्य है। प्रस्तुत शोध लेख में मूल्य शिक्षा के विषय में चर्चा करते हुए मूल्यपरक महाकाव्य रामायण में वर्णित मूल्यों के विषय में जानेंगे।

Authors and Affiliations

डा. आरती शर्मा
सहायकाचार्य, शिक्षापीठ, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

मूल्य, मूल्यपरक शिक्षा।

  1. शर्मा, रमा, शर्मा वी.पी., मूल्य शिक्षा, अर्जुन पब्लिशिंग हाउस, 2019, दिल्ली।
  2. पाठक, प्रो. रमेश प्रसाद, मूल्य शिक्षा, कनिष्का पब्लिशर्स हाउस, 2020, दिल्ली।
  3. याज्ञवल्क्यस्मृति8
  4. वैशेषिकदर्शनम्, प्रथमोऽध्यायः, प्रथम आह्निकः 1
  5. मनुस्मृति8
  6. वाल्मीकि रामायण34.24
  7. वाल्मीकि रामायण34.31
  8. वाल्मीकि रामायण14.3.\
  9. वाल्मीकि रामायण14.7
  10. वाल्मीकि रामायण109.13-14
  11. वाल्मीकि रामायण96.31
  12. वाल्मीकि रामायण105.4
  13. वाल्मीकि रामायण87.23
  14. वाल्मीकि रामायण17.14

Publication Details

Published in : Volume 7 | Issue 2 | March-April 2024
Date of Publication : 2024-04-05
License:  This work is licensed under a Creative Commons Attribution 4.0 International License.
Page(s) : 71-74
Manuscript Number : GISRRJ247215
Publisher : Technoscience Academy

ISSN : 2582-0095

Cite This Article :

डा. आरती शर्मा, "मूल्य शिक्षा एवं मूल्यपरक महाकाव्य रामायण ", Gyanshauryam, International Scientific Refereed Research Journal (GISRRJ), ISSN : 2582-0095, Volume 7, Issue 2, pp.71-74, March-April.2024
URL : https://gisrrj.com/GISRRJ247215

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